इन दिनों जब भी मौसम की खबरें आती हैं, तो कहीं शक्ति तूफान की चर्चा होती है, तो कभी तितली या भोला की. सुनने में अजीब लगता है कि किसी तूफान का नाम भी ‘गुलाब’, ‘गति’ या ‘लैला’ हो सकता है. लेकिन सच ये है कि हर चक्रवाती तूफान का एक तय नाम होता है. सवाल ये है कि आखिर ये नाम आते कहां से हैं? कौन तय करता है इन्हें? और कैसे एक खतरनाक तूफान को ‘तितली’ या ‘भोला’ जैसा प्यारा नाम दे दिया जाता है? आइए जानते हैं इस दिलचस्प प्रक्रिया के बारे में.
तूफानों को नाम देने की शुरुआत कैसे हुई?
तूफानों को नाम देने का सिलसिला साल 2000 में शुरू हुआ. इससे पहले तूफानों को उनकी तीव्रता या तारीख के आधार पर जाना जाता था, जिससे भ्रम की स्थिति बन जाती थी. खासकर उस समय जब एक ही वक्त पर एक से ज्यादा तूफान आते थे. इसलिए, संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी WMO (वर्ल्ड मीट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन) और एशिया पैसिफिक रीजन के देशों ने मिलकर तय किया कि हर तूफान को एक अलग नाम दिया जाएगा.
कौन तय करता है तूफानों के नाम?
इस समय 13 देश मिलकर चक्रवातों के नाम तय करते हैं. इनमें भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, ओमान, ईरान, कतर, यूएई, सऊदी अरब, यमन और मालदीव जैसे देश शामिल हैं. हर देश अपनी तरफ से कुछ नामों की सूची देता है. इन नामों को पहले से तय लिस्ट में क्रम से रखा जाता है. जब भी किसी देश के समुद्री क्षेत्र में नया तूफान उठता है, तो उस लिस्ट से अगला नाम उसे दे दिया जाता है.
नाम कैसे चुने जाते हैं?
- इन नामों को चुनते समय कुछ बातें ध्यान रखी जाती हैं—
- नाम छोटा, सरल और बोलचाल में आसान हो
- कोई विवादित या धार्मिक शब्द न हो
- किसी भी जाति, समुदाय या देश को ठेस न पहुंचे
- नाम ऐसा हो जिसे आम लोग भी आसानी से याद रख सकें
भारत ने भी ‘गति’, ‘गुलाब’, ‘निसर्ग’, ‘शक्ति’, ‘अग्नि’ जैसे नाम सुझाए हैं. पाकिस्तान ने ‘तितली’ और ‘फानी’ जैसे नाम दिए, वहीं बांग्लादेश ने ‘भोला’ और ‘मोरा’ जैसे नाम प्रस्तावित किए थे.
भारत में कहां आते हैं ज़्यादातर तूफान?
भारत में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दो बड़े क्षेत्र हैं जहां से चक्रवाती तूफान उठते हैं. बंगाल की खाड़ी से उठे तूफानों का असर ओडिशा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में देखा जाता है. हाल के वर्षों में तौकते, यास, फानी, निसर्ग और अब शक्ति जैसे तूफानों ने भारी असर डाला है.
नाम रखने से क्या फायदा होता है?
तूफानों को नाम देने से न सिर्फ मौसम विभाग की जानकारी देना आसान हो जाता है, बल्कि आम लोगों को भी तूफान की पहचान में आसानी होती है. किसी चेतावनी में कहा जाए कि “शक्ति तूफान आ रहा है”, तो लोग तुरंत सतर्क हो जाते हैं और उसे पहचानते हैं. साथ ही आपातकालीन सेवाओं, मीडिया और प्रशासन को भी अपनी तैयारी में मदद मिलती है.
तो अगली बार जब आप सुनें कि ‘तितली’ आ रही है या ‘शक्ति’ ने दस्तक दी है, तो समझ जाइए कि ये कोई फिल्मी किरदार नहीं, बल्कि प्रकृति की एक ताकतवर चेतावनी है, जिसका नाम बड़ी समझदारी और प्रक्रिया से तय किया गया है.