2025-26 में चावल उत्पादन होगा रिकॉर्ड स्तर पर, जानिए किन देशों को मिलेगा फायदा?

USDA के आंकड़ों के अनुसार, इराक ने जनवरी-जून 2025 के बीच 1.28 मिलियन टन चावल आयात किया, जो पिछले साल की तुलना में 10 फीसदी ज्यादा है.

नई दिल्ली | Published: 14 Aug, 2025 | 12:50 PM

दुनियाभर में चावल उत्पादन के मामले में 2025-26 का वर्ष रिकॉर्ड बनाने जा रहा है. अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) और फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) की हालिया रिपोर्टों के अनुसार, इस विपणन वर्ष में वैश्विक चावल उत्पादन 541 मिलियन टन तक पहुंच सकता है, जबकि खपत लगभग 542 मिलियन टन रहने का अनुमान है. विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम की स्थिति आने वाले महीनों में अंतिम पैदावार तय करने में अहम भूमिका निभाएगी.

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, चीन में शुरुआती फसल की कटाई जारी है, वहीं देर से बोई जाने वाली फसल की बुवाई भी शुरू हो चुकी है. इंटरनेशनल ग्रेन्स काउंसिल (IGC) ने भी बड़े निर्यातक देशों में चावल उत्पादन में मामूली बढ़ोतरी का अनुमान जताया है. एशिया और अफ्रीका में खाद्य मांग बढ़ने के चलते वैश्विक खपत भी बढ़ने की उम्मीद है.

इराक करेगा रिकॉर्ड आयात

USDA के आंकड़ों के अनुसार, इराक ने जनवरी-जून 2025 के बीच 1.28 मिलियन टन चावल आयात किया, जो पिछले साल की तुलना में 10 फीसदी ज्यादा है. पिछले छह वर्षों में इराक के आयात दोगुने हो गए हैं, जिससे भारत, थाईलैंड और अमेरिका के निर्यातकों को बड़ा लाभ हुआ है. थाईलैंड के लिए इराक दूसरा सबसे बड़ा बाजार है, जबकि भारत इराक का छठा सबसे बड़ा कुल चावल आपूर्तिकर्ता और बासमती चावल के लिए तीसरा सबसे बड़ा बाजार है.

चावल की कीमतों का रुझान

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मौसम ने कोई बड़ा असर नहीं डाला, तो चावल की कीमतें मौजूदा स्तर पर बनी रह सकती हैं. गेहूं उत्पादन 2025-26 में 806.9 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के 799.89 मिलियन टन से अधिक है. भारत ने 2022-23 में गेहूं उत्पादन में कमी के कारण चावल निर्यात पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगाया था, जिसके चलते चावल की कीमतें 600 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई थीं. अब, सितंबर 2024 में प्रतिबंध हटने के बाद कीमतें गिरकर 400 डॉलर प्रति टन से नीचे आ गई हैं.

इन देशों को मिलेगा फायदा

वैश्विक चावल बाजार में इस साल की बढ़ोतरी से किसानों और निर्यातकों दोनों को नए अवसर मिलेंगे. खासकर भारत, थाईलैंड और अमेरिका जैसे प्रमुख उत्पादक देशों के लिए यह समय फायदेमंद साबित हो सकता है. निर्यात बढ़ने से स्थानीय किसानों की आय में भी सुधार होगा और कृषि क्षेत्र में निवेश की संभावनाएं बढ़ेंगी. वहीं, सरकार और व्यापारियों को कीमतों और उत्पादन पर सतर्क निगरानी रखनी होगी, ताकि घरेलू खपत और निर्यात दोनों में संतुलन बना रहे. इसके अलावा, इराक और अन्य बड़ी आयातक देशों की मांग के आधार पर लॉजिस्टिक और भंडारण क्षमता बढ़ाना भी आवश्यक होगा.