Karnataka News: कर्नाटक में इस बार त्योहारी सीजन में प्याज की खुदरा कीमतें 10 रुपये प्रति किलो से भी नीचे पहुंच गई हैं. खुले बाजार में प्याज की खरीद दर सिर्फ 700 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गई है, जबकि पिछले साल यही कीमतें 4,000 से 7,000 रुपये प्रति क्विंटल थीं. कीमतों में इतनी बड़ी गिरावट के चलते किसान संगठनों ने सभी खराब होने वाली फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और सरकारी खरीद योजनाओं के दायरे में लाने की मांग फिर से तेज कर दी है. इसके लिए वे पूरे राज्य में आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं.
आमतौर पर कर्नाटक से प्याज की सप्लाई पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और बांग्लादेश-श्रीलंका जैसे देशों में होती है. लेकिन इस बार खरीफ सीजन में ज्यादा बारिश होने से इन राज्यों ने खुद ही ज्यादा उत्पादन कर लिया है, जिससे कर्नाटक को निर्यात रोकना पड़ा. इस स्थिति का असर किसानों पर साफ दिख रहा है. विजयनगर, बेल्लारी, चित्रदुर्ग और दावणगेरे जैसे जिलों में कई किसानों ने अभी फसल की कटाई तक नहीं की है और जिन्होंने कटाई कर ली, उनके प्याज खराब हो रहे हैं, क्योंकि स्टोरेज की सुविधा नाकाफी है.
प्याज उगाने वाले किसान संकट में
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक रायता संघ और हसीरु सेना के राज्य अध्यक्ष एचएस बसवराजप्पा ने कहा कि प्याज उगाने वाले किसान बेहद संकट में हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार से कई बार जिले स्तर पर कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने की मांग की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. उन्होंने यह भी कहा कि खराब होने वाली फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना में शामिल करने की मांग भी लंबे समय से लंबित है, लेकिन सरकार की ओर से इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
कर्नाटक रायता संघ के अध्यक्ष एचएस बसवराजप्पा ने कहा कि हम जल्द ही सभी बागवानी फसलों के लिए मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (MIS) की मांग को फिर से जोर देंगे. उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को संवैधानिक गारंटी देने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन नवंबर में 5 साल पूरे कर लेगा, लेकिन अब तक यह मांग पूरी नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि इस मौके को चिन्हित करने के लिए सभी राज्यों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जहां किसान एकजुट होकर सभी फसलों के लिए मार्केट इंटरवेंशन स्कीम की मांग उठाएंगे.
MSP पर कर्नाटक प्रांता रायता संघ का बड़ा बयान
कर्नाटक प्रांता रायता संघ के राज्य महासचिव टी. यशवंत ने कहा कि MSP की मौजूदा व्यवस्था कर्नाटक के लिए व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि इसमें हमारी ज्यादातर फसलें शामिल ही नहीं हैं. हमारी मांग है कि सभी फसलों को MSP के दायरे में लाया जाए और इसे कानूनी गारंटी दी जाए. उन्होंने कहा कि केरल सरकार पहले ही सब्जियों और फलों के लिए MSP योजना लागू कर चुकी है और यह मॉडल पूरे देश में अपनाया जाना चाहिए.
14 खरीफ और 6 रबी फसलों के लिए MSP तय
फिलहाल केंद्र सरकार ने इस साल 14 खरीफ और 6 रबी फसलों के लिए MSP तय किया है. कर्नाटक की ओर से पैडी, रागी और ज्वार ही इस सूची में शामिल हैं, जबकि राज्य सरकार ने माइक्रो मिलेट्स और अन्य फसलों को भी इसमें जोड़ने की मांग की है. कर्नाटक के कृषि मंत्री एन. चेलुवरायास्वामी ने कहा है कि अब समय आ गया है कि MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) जैसी योजनाओं में समग्र सुधार किए जाएं. उन्होंने कहा कि फिलहाल कुछ उत्तरी राज्यों के किसान ही MSP का ज्यादा फायदा उठा रहे हैं. इसलिए इस व्यवस्था को सभी राज्यों के किसानों के लिए फायदेमंद बनाने के लिए बदलाव जरूरी हैं. हमने केंद्र सरकार से मांग की है कि कर्नाटक में उगाई जाने वाली सभी फसलों को MSP योजना में शामिल किया जाए.
8,500 रुपये प्रति हेक्टेयर का अतिरिक्त मुआवजा
बेंगलुरु प्याज और आलू व्यापारी संघ के सचिव बी. रविशंकर ने कहा कि हाल ही में राज्य सरकार ने आम उत्पादकों की मदद के लिए मार्केट इंटरवेंशन स्कीम लागू की थी. ठीक ऐसी ही योजना अब प्याज किसानों के लिए भी शुरू करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कल्याण कर्नाटक क्षेत्रों में फसल नुकसान के लिए NDRF मुआवजे के अलावा 8,500 रुपये प्रति हेक्टेयर का अतिरिक्त मुआवजा देने की घोषणा की थी. किसानों की मांग है कि इस तरह की सहायता राज्यभर की सभी फसलों के लिए दी जाए.