Rabi Crop MSP: केंद्र की मोदी सरकार ने दिवाली से पहले देश के करोड़ों किसानों को बड़ा गिफ्ट दिया है. सरकार ने गेहूं सहित 6 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ा दिया है. सरकार के इस फैसले से किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिल पाएगा. वहीं, सरकार के इस फैसले से किसान काफी खुश है. बिहार के आरा जिला के रहने वाले किसान श्रीनिवास राय ने कहा है कि MSP में बढ़ोतरी से गेहूं, दलहन और तिलहन की खेती करने वाले किसानों की सीधा फायदा होगा. साथ गेहूं के रकबे में बढ़ोतरी होगी. क्योंकि बिहार में धान कटाई के बाद नवंबर के अंतिम हफ्ते से गेहूं की बुवाई शुरू होती है. ऐसे में किसान एमएसपी के चलते ज्यादा से ज्यादा गेहूं की बुवाई करेंगे.
एक्सपर्ट के मुताबिक, गेहूं के एमएसपी में बढ़ोतरी होने से पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसानों को सबसे ज्यादा मुनाफा होगा. क्योंकि इन राज्यों में ही गेहूं की सबसे अधिक सरकारी खरीदी होती है. ऐसे भी सरकार ने 2025-26 फसल वर्ष (जुलाई से जून) के लिए 1190 लाख टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जो अब तक का सबसे ज्यादा है. जबकि 2024-25 में उत्पादन 1175 लाख टन रहा. वहीं, केंद्र ने अप्रैल से जून तक चलने वाले 2025-26 रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान 300 लाख टन से अधिक अधिक गेहूं की खरीद की. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2021-22 सीजन के बाद से यह सबसे अधिक खरीद है.
किसान अब करेंगे बंपर बुवाई
वहीं, एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि दलहन और तिलहन के न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने से इसके रकबे में बढ़ोतरी होगी. क्योंकि 15 अक्तूबर के बाद दलहन और तिलहन की बुवाई का सीजन शुरू हो जाएगा. बेहतर एमएसपी के चलते किसान ज्यादा से ज्यादा रकबे में दलहन और तिलहन की बुवाई करेंगे. ऐसे भी देश दलहन और तिलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है. सरकार को हजारों करोड़ रुपये दलहन- तिलहन के आयात पर खर्च करने पड़ते हैं. ऐसे में सरकार को भी उम्मीद है कि इस साल दलहन और तिलहन का क्षेत्रफल बढ़ेगा.
दलहन-तिलहन के रकबे में बढ़ोतरी की उम्मीद
बता दें कि देश में दालों की आत्मनिर्भरता, किसानों की आमदनी बढ़ाने और पोषण सुधारने के लिए आज राष्ट्रीय दलहन मिशन को मंजूरी दी गई है. इस मिशन का लक्ष्य है कि साल 2030-31 तक देश में दलहन उत्पादन को 242 लाख टन से बढ़ाकर 350 लाख टन तक पहुंचाया जाए. मिशन के तहत देश के 416 जिलों में खास उत्पादन और विकास कार्यक्रम चलाए जाएंगे. इसमें धान की परती जमीन, अच्छे बीज, सिंचाई, फसल मिलाकर खेती (इंटरक्रॉपिंग), बाजार से जोड़ने और तकनीकी मदद जैसी चीजें शामिल हैं. तूर, उड़द और मसूर जैसी दलहनी फसलों की 100 फीसदी खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर की जाएगी, ताकि किसानों को उनकी फसल का पूरा दाम मिल सके. इस मिशन के लिए 2025-26 तक 11,440 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है.
किस फसल का कितना है MSP
ऐसे सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6.59 फीसदी से बढ़ाकर 2,585 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है. पिछली बार गेहूं का MSP 2,425 रुपये प्रति क्विंटल था. गेहूं रबी सीजन की मुख्य फसल है, जिसकी बुआई अक्टूबर के अंत से होती है और कटाई मार्च के बाद शुरू होती है. इसके साथ ही सरकार ने जौ का MSP 170 रुपये बढ़ाकर अब 2,150 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. इसके अलावा चना का MSP 5,650 रुपये, मसूर का 6,700 रुपये , सरसों का 5,950 रुपये और सूरजमुखी का 5,940 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है.