दाल की खेती करने वालों को फ्री में मिलेंगे प्रति एकड़ 3600 रुपये.. बीज पर 50 फीसदी सब्सिडी

हरियाणा में दलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए 13,000 एकड़ का लक्ष्य तय किया गया है. मूंग, उड़द और अरहर की बुआई पर किसानों को 3,600 रुपये प्रति एकड़ सहायता, बीज पर 50 फीसदी सब्सिडी मिल रही है.

नोएडा | Updated On: 13 Aug, 2025 | 05:51 PM

हरियाणा में दलहन के रकबे को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन (NFSM) के तहत 13,000 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में खेती का लक्ष्य तय किया गया है. इसमें मूंग के लिए सबसे ज्यादा 8,100 एकड़, जबकि उड़द और अरहर के लिए 2,500-2,500 एकड़ का लक्ष्य है. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि खरीफ सीजन 2025 के दौरान नेशनल फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन मिशन-पल्सेज को लागू किया जाएगा. इसके तहत विभाग ने मूंग, अरहर और उड़द पर क्लस्टर डेमोंस्ट्रेशन, फसल प्रणाली आधारित प्रदर्शन और प्रमाणित बीज वितरण के लिए भौतिक और वित्तीय लक्ष्य तय किए हैं.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, जो किसान खरीफ सीजन में दालों की खेती करेंगे, उन्हें प्रति एकड़ 3,600 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी. साथ ही उड़द, मूंग और अरहर की बुआई के लिए बीज हरियाणा सीड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन द्वारा 50 फीसदी सब्सिडी पर उपलब्ध कराए जाएंगे. इसके अलावा, पौध और मिट्टी की सुरक्षा के लिए किसानों को 1,000 रुपये प्रति एकड़ की अतिरिक्त मदद भी मिलेगी.

20 अगस्त तक कर सकते हैं रजिस्ट्रेशन

कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि आमतौर पर खरीफ के मौसम में इस क्षेत्र में धान की खेती ज्यादा होती है, इसलिए किसान दालों की ओर कम ध्यान देते हैं और क्षेत्र बिखरा हुआ रहता है. लेकिन इस बार दालों को बढ़ावा देने के लिए जिला-वार लक्ष्य तय किए गए हैं. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख 20 अगस्त है. कुरुक्षेत्र के उप कृषि निदेशक (DDA) डॉ. करम चंद ने कहा कि राज्य में दालों की खेती का क्षेत्र बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है.

किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं

चारे की फसल की कटाई के बाद किसान दालों की बुआई कर सकते हैं. सरकार किसानों को आर्थिक सहायता और सब्सिडी दे रही है. इसके लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा और सत्यापन के बाद सहायता राशि सीधे उनके बैंक खाते में भेजी जाएगी. इसी तरह अंबाला के DDA डॉ. जसविंदर सैनी ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि देश को दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया जाए. इसके लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं. किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.

MSP की गारंटी की मांग

वहीं, भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के प्रवक्ता राकेश बैनीवाल ने कहा कि केवल आर्थिक सहायता से किसानों को प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता. सरकार को फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गारंटी के साथ खरीद सुनिश्चित करनी चाहिए और यह भी देखना चाहिए कि किसान अगर दूसरी फसलों की ओर रुख करें तो उन्हें कोई घाटा न हो. उन्होंने आगे कहा कि लक्ष्य पूरा करने के लिए जरूरी है कि कृषि विभाग और सरकार जमीनी स्तर पर किसानों की समस्याओं का समाधान करें.

Published: 13 Aug, 2025 | 05:44 PM