प्याज किसान केवल महाराष्ट्र में ही परेशान नहीं हैं, बल्कि तमिलनाडु में भी फसल को लेकर उनकी चिंता बढ़ती जा रही है. खास कर कोयंबटूर जिले के थोंडामुथुर और पेरूर ब्लॉक में प्याज किसान इस समय भारी परेशानी में हैं, क्योंकि पिछले साल के अंत में काटी गई फसल को व्यापारी खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. खरीदारों का इंतजार करते-करते अब लगभग 600 टन प्याज खेतों में बने शेडों में रखी हुई है, जो अब सड़ने की कगार पर है. यानी 6 महीने से किसानों के प्याज की बिक्री नहीं हुई है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्थिति से परेशान होकर इन इलाकों के करीब 200 किसानों ने कृषि विभाग से मदद की गुहार लगाई है. किसानों का कहना है कि अगर जल्द ही उनका प्याज नहीं बिका, तो उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. जिले के पेरूर और थोंडामुथुर ब्लॉक के थीतिपालयम, कुप्पनूर, अरुमुगगौंडनूर, मथमपट्टी, मथवरायपुरम, पूलुवापट्टी, नथगौंडनपुदुर, सेम्मेडु, नरसिपुरम, देवरायपुरम और तेनमन्नलूर जैसे गांवों में किसान बड़े पैमाने प्याज की खेती करते हैं.
दिसंबर में होती है फसल की कटाई
किसान अक्टूबर से दिसंबर के बीच भी इस प्याज की खेती करते हैं. दिसंबर में जो फसल काटी गई थी, वही अब तक नहीं बिक पाई है, क्योंकि व्यापारियों की ओर से कोई मांग नहीं आई है. तमिलनाडु विवसायिगल संगम के उपाध्यक्ष आर. पेरियासामी ने कहा कि छोटे प्याज की फसल को किसान अक्सर खेत में बनाए गए शेड में इस उम्मीद से स्टोर करते हैं कि जब मांग बढ़ेगी तो अच्छा दाम मिलेगा. ये प्याज 150 दिन तक शेड में सुरक्षित रखा जा सकता है, लेकिन इसके लिए अच्छी वेंटिलेशन जरूरी होती है.
शेड बनाने में करीब 20,000 रुपये खर्च होते हैं
उन्होंने कहा कि एक अस्थायी शेड बनाने में करीब 20,000 रुपये खर्च होते हैं. किसानों ने उम्मीद के साथ प्याज स्टोर किया था, लेकिन अब डिंडीगुल और ओट्टनचत्रम जैसे इलाकों से भारी मात्रा में प्याज आने के कारण व्यापारी खरीद में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब बाजार में अधिकतम 35 रुपये प्रति किलो का भाव मिल रहा है, लेकिन व्यापारी खेत से प्याज खरीदने को तैयार नहीं हैं. लगभग 200 किसान बेचैनी से खरीदारों का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि अगली 30 दिनों में उनकी फसल सड़ सकती है.
एक महीने में खराब हो जाएगी फसल
थीतीपालयम गांव के किसान आर. प्रकाश ने कहा कि मैंने अपने खेत में उगाए छोटे प्याज स्टोर करके रखे हैं. अगर अगले महीने तक ये नहीं बिके, तो खराब हो जाएंगे. लेट सीजन में उगाए गए छोटे प्याज का इस्तेमाल बीज के लिए नहीं किया जाता, क्योंकि इससे फसल नहीं होती. मई में खेती के लिए हम सीधे थुरैयूर और पेराम्बलूर के किसानों से बीज खरीदते हैं. हमारे पास अब कोई और रास्ता नहीं बचा है.