भारी बारिश से जम्मू-कश्मीर में धंस रही जमीन, 3,000 से अधिक लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर

स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मानवीय लापरवाही और पर्यावरणीय अनदेखी का परिणाम है. कमजोर पहाड़ी क्षेत्रों में उचित जल निकासी न होने के कारण यह संकट पैदा हुआ.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 18 Sep, 2025 | 08:14 AM

Jammu and Kashmir Flood: जम्मू क्षेत्र की पिर पांजल और शिवालिक पहाड़ियों में बसे कई गांवों के लोग हमेशा से अपनी मिट्टी और पहाड़ों पर भरोसा करते आए हैं. उन्होंने सोचा था कि ये पहाड़ उन्हें सुरक्षित आश्रय देंगे, लेकिन अब भारी बारिश और भूधंसाव के कारण उनके सपनों के घर अब खतरे में हैं. गांव धीरे-धीरे “डूब” रहे हैं और लोगों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित जगहों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

भूधंसाव की गंभीर स्थिति

स्टेट टाइम्स की खबर के अनुसार, रमबान, रीसी, जम्मू और पूंछ जिले के 11 गांवों में 5 सितंबर से भूधंसाव की समस्या उभरकर सामने आई है. घरों में दरारें दिखाई दे रही हैं, उपजाऊ खेत गायब हो रहे हैं और परिवार अपने पूर्वजों के घरों को छोड़कर भाग रहे हैं. रमबान जिले के तंगर गांव में सावलकोट जलविद्युत परियोजना के पास 22-25 घर और एक सरकारी हाई स्कूल क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जबकि चार किलोमीटर क्षेत्र में 140 और घर खतरे में हैं.

रवि कुमार, तंगर गांव के निवासी, बताते हैं, “पहले अगस्त के अंत में भारी बारिश और फ्लैश फ्लड के कारण डर बना हुआ था. अब घरों में दरारें पड़ गई हैं और अधिकांश घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं. सर्दी आने वाली है, लेकिन पूरा क्षेत्र असुरक्षित है. गांव धीरे-धीरे गायब हो सकता है.”

अनिल कुमार, जिनका नया घर जनवरी 2024 में बना था, कहते हैं, “हमारे घर में कई दरारें हैं. अब इसे छोड़कर सुरक्षित जगह पर जाना ही बेहतर है. वर्षों की मेहनत का यह घर अब खतरनाक हो गया है.”

प्रशासन और राहत कार्य

रमबान के विधायक अर्जुन सिंह राजू, उप आयुक्त इल्यास खान और अन्य अधिकारी हालात का जायजा लेने तंगर पहुंचे. खान ने कहा कि बड़ा क्षेत्र धीरे-धीरे धंस रहा है, कई घरों में दरारें पड़ चुकी हैं. स्कूल बंद कर दिए गए हैं और विस्थापित लोगों को एनएचपीसी क्वार्टर में रखा गया है.

भूस्खलन की समस्या यहां नई नहीं है. अप्रैल 2024 में परनोट गांव में भी भूधंसाव हुआ था, जिसमें 58 घर क्षतिग्रस्त हुए और 500 लोग पलायन करने को मजबूर हुए थे. सांगलदान क्षेत्र में भी हाल ही में भूधंसाव की घटनाएं दर्ज की गई हैं.

अन्य प्रभावित गांव

पिर पांजल और शिवालिक रेंज में कई अन्य गांवों में भी संकट गहराया है. पूंछ के कलाबान, जम्मू के खारी और बरिमिनी, रीसी के सरह और जम्सलान, राजौरी के पांजनारा और भढ़ाल, किश्तवाड़ के पियास और सांबा के जमोड़ा जैसे गांव भूधंसाव की चपेट में हैं.

कलाबान गांव में 11 सितंबर को भूधंसाव के कारण 1,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए और 95 घर, एक कब्रिस्तान और मस्जिद क्षतिग्रस्त हो गई. सेना, एसडीआरएफ और पुलिस की संयुक्त टीमें 700 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले गई और टेंट तथा राशन उपलब्ध कराया.

कारण और आगे की कार्रवाई

स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मानवीय लापरवाही और पर्यावरणीय अनदेखी का परिणाम है. कमजोर पहाड़ी क्षेत्रों में उचित जल निकासी न होने के कारण यह संकट पैदा हुआ. अधिकारियों ने भूगर्भीय और खनन विशेषज्ञों की टीम से स्थिति की जांच कराने की बात कही है.

सड़कों का टूटना, खेतों का नुकसान और घरों की क्षति इस क्षेत्र में गंभीर आपदा की ओर इशारा कर रही है. मंत्री जावेद राणा ने स्थायी पुनर्वास और तत्काल राहत सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं.

इस भयंकर भूधंसाव के कारण अब तक 3,000 से 3,500 लोग अपने घरों को छोड़ चुके हैं और सुरक्षित आवास की तलाश में हैं. यही स्थिति पिर पांजल और शिवालिक रेंज के बाकी गांवों में भी देखने को मिल रही है, जो स्थानीय लोगों के जीवन और उनकी आजीविका के लिए बड़ा खतरा बन चुकी है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

गेहूं की उत्पत्ति किस क्षेत्र से हुई थी?

Side Banner

गेहूं की उत्पत्ति किस क्षेत्र से हुई थी?