ओडिशा में सिंचाई की भारी किल्लत, किसान नहीं कर पा रहे रबी फसलों की बुवाई.. जानें सरकार की क्या है तैयारी

हर साल सुंदरगढ़ जिले में रबी सीजन के दौरान कुल 3.02 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में से केवल 98,000 से 1,02,000 हेक्टेयर जमीन पर ही खेती हो पाती है. यानी लगभग दो-तिहाई जमीन खाली रह जाती है, जिससे छोटे और सीमांत किसान बेरोजगार  या निष्क्रिय रहने को मजबूर होते हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 14 Nov, 2025 | 12:09 PM

Odisha News: ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में हर साल रबी सीजन के दौरान लगभग दो-तिहाई खेती की जमीन खाली रह जाती है, क्योंकि वहां सिंचाई की पक्की सुविधा नहीं है. 2025-26 रबी सीजन के लिए सरकार ने करीब 1 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में से 63,548 हेक्टेयर को सिंचाई योजना में शामिल किया है, लेकिन वास्तविक सिंचाई स्थिति इससे काफी कम है. ऐसे में किसान रबी फसलों की बुवाई करने से कतरा रहे हैं.  उन्हें सिंचाई के अभाव में फसल बर्बादी और नुकसान का भय सता रहा है.

कहा जा रहा है कि इस साल 9,406 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई बड़े और मध्यम सिंचाई प्रोजेक्ट्स  से, 3,454 हेक्टेयर की छोटे प्रोजेक्ट्स से और 49,638 हेक्टेयर की माइक्रो लिफ्ट, नदी लिफ्ट, डग-वेल और बोरवेल जैसे स्रोतों से की जानी थी. इसके अलावा 1,050 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई मेगा लिफ्ट प्रोजेक्ट्स से होने की योजना थी. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि 63 फीसदी सिंचाई कवरेज का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है. कई माइनर और लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट्स बंद पड़े हैं, या फिर पानी पंचायतों द्वारा बिल न भरने की वजह से काम नहीं कर रहे.

40,000 हेक्टेयर जमीन को ही पानी मिल पाएगा

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, साथ ही सतही जलस्तर सूख चुका है और भूजल स्तर  भी नीचे चला गया है, जिससे इस सीजन में अधिकतम 40,000 हेक्टेयर जमीन को ही पानी मिल पाएगा. वर्तमान हालात में, जिले के पांच मध्यम सिंचाई डैम पितामहल, कंसबाहाल, रुकुड़ा, सराफगढ़ और तलसारा, जिनकी कुल सिंचाई क्षमता 17,585 हेक्टेयर है, उनमें 89.87 फीसदी से 98.76 फीसदी तक पानी भरा हुआ है, जिससे ये डैम फिलहाल फसल सीजन को बेहतर समर्थन दे पा रहे हैं.

सिंचाई का लक्ष्य पूरा करने का दावा

सूत्रों के अनुसार, हर साल सुंदरगढ़ जिले में रबी सीजन के दौरान कुल 3.02 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में से केवल 98,000 से 1,02,000 हेक्टेयर जमीन पर ही खेती हो पाती है. यानी लगभग दो-तिहाई जमीन खाली रह जाती है, जिससे छोटे और सीमांत किसान बेरोजगार  या निष्क्रिय रहने को मजबूर होते हैं. ऐसे जिला प्रशासन ने खरीफ सीजन 2024 में 1,45,165 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई का लक्ष्य पूरा करने का दावा किया था.

नदियों में जल प्रवाह काफी घट गया

मुख्य जिला कृषि अधिकारी (CDAO) एलबी मलिक ने कहा कि इस साल अच्छे मॉनसून के बावजूद नदियों में जल प्रवाह  काफी घट गया है और अन्य सतही जल स्रोत भी सूख चुके हैं, जिससे रबी सीजन में खेती करना चुनौतीपूर्ण हो गया है. उन्होंने कहा कि खरीफ फसलों की कटाई नवंबर तक पूरी हो जाएगी और अगर दिसंबर के पहले या दूसरे हफ्ते में अच्छी बारिश होती है, तो मिट्टी में नमी वापस आ सकती है, जिससे रबी फसलों की बुवाई को काफी मदद मिलेगी.

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Published: 14 Nov, 2025 | 12:03 PM

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