पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान कैसे करें? जानिए आसान तरीका और जरूरी सावधानियां

कृत्रिम गर्भाधान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें नर पशु (सांड या बैल) के वीर्य को लेकर मादा पशु के गर्भाशय में डाला जाता है ताकि वह गर्भधारण कर सके. इसमें नर और मादा पशु का शारीरिक संपर्क जरूरी नहीं होता.

नई दिल्ली | Published: 24 May, 2025 | 03:39 PM

देश में डेयरी उद्योग और पशुपालन तेजी से बढ़ रहा है. सरकार भी इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है. लेकिन कई बार मादा पशु समय पर गर्भधारण नहीं कर पाता क्योंकि जब पशु हीट (गर्भधारण के लिए उपयुक्त समय) पर होता है, तब सांड या बैल उपलब्ध नहीं होता. इससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान होता है क्योंकि वे दूध उत्पादन शुरू नहीं कर पाते. ऐसे में कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) एक प्रभावी और आधुनिक तरीका बनकर सामने आया है. आइए जानते हैं कृत्रिम गर्भाधान क्या है, इसके फायदे, सावधानियां और सही तरीका.

कृत्रिम गर्भाधान क्या है?

कृत्रिम गर्भाधान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें नर पशु (सांड या बैल) के वीर्य को लेकर मादा पशु के गर्भाशय में डाला जाता है ताकि वह गर्भधारण कर सके. इसमें नर और मादा पशु का शारीरिक संपर्क जरूरी नहीं होता. वीर्य को तरल नाइट्रोजन में सुरक्षित रखकर कई सालों तक संरक्षित किया जा सकता है. इस तकनीक से मादा पशु जल्दी और सही समय पर गर्भधारण कर सकती है.

कृत्रिम गर्भाधान के फायदे

दूध उत्पादन बढ़ाना: इस प्रक्रिया से विदेशी और उच्च गुणवत्ता वाले सांड के वीर्य का उपयोग कर दूध की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ाई जा सकती है.

अच्छी नस्ल का विकास: बेहतर नस्ल की भैंस और गायें पैदा होती हैं, जिससे पशुपालन का स्तर सुधरता है.

समय और संसाधन की बचत: बिना सांड के मादा पशु को गर्भधारण कराया जा सकता है, जिससे समय और खर्च दोनों की बचत होती है.

व्यापक स्तर पर उपयोग: एक साल में हजारों पशुओं को कृत्रिम गर्भाधान के जरिए गर्भधारण कराया जा सकता है.

कृत्रिम गर्भाधान क्यों जरूरी है?

अच्छी नस्ल के पशु उत्पादन के लिए कृत्रिम गर्भाधान जरूरी है क्योंकि यह तकनीक पशुपालकों को बेहतर गुणवत्ता वाले वीर्य का उपयोग करने का मौका देती है. इससे पशुओं की नस्ल सुधरती है, दूध उत्पादन बढ़ता है और आर्थिक लाभ होता है. साथ ही, यह पारंपरिक तरीके की तुलना में अधिक प्रभावी और तेज है.

कृत्रिम गर्भाधान का सही तरीका और सावधानियां

पशु का सही समय चुनें: कृत्रिम गर्भाधान के लिए मादा पशु का हीट (गर्भाधान के लिए उपयुक्त समय) होना जरूरी है.

पशु चिकित्सक की मदद लें: प्रक्रिया को एक प्रशिक्षित पशु चिकित्सक या टेक्नीशियन द्वारा ही करवाएं.

साफ-सफाई का ध्यान रखें: गर्भाधान से पहले गन (इंसिमिनेशन गन) और आसपास की जगह पूरी तरह साफ होनी चाहिए.

वीर्य का सही उपयोग: वीर्य को तरल नाइट्रोजन से निकालकर तुरंत उपयोग करें और इसे सही जगह (गर्भाशय के अंदर) डालें.

शुक्राणुओं की संख्या: गर्भाधान के लिए कम से कम 10 से 12 मिलियन शुक्राणु होना आवश्यक है.

पशु की देखभाल: प्रक्रिया के बाद मादा पशु की उचित देखभाल और आराम जरूरी है ताकि गर्भधारण सफल हो सके.

कृत्रिम गर्भाधान से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

कृत्रिम गर्भाधान से पहले मादा पशु के स्वास्थ्य की अच्छी तरह जांच कराना बहुत जरूरी है. प्रक्रिया के दौरान और बाद में पशु को तनाव मुक्त और आरामदायक रखना चाहिए. समय-समय पर पशु चिकित्सक से सलाह लेते रहना भी आवश्यक है. साथ ही, गर्भाधान की तारीख और परिणाम का डिजिटल रिकॉर्ड बनाकर रखना चाहिए ताकि भविष्य में सही जानकारी उपलब्ध रहे.