बंजर जमीन में भी होगी लाखों की कमाई, किसान बस लगाएं यह पेड़

आज के समय में इमली की मांग में तेजी आई है. गर्मियों में इमली का जूस, पाउडर और अचार बाजार में बहुत बिकते हैं. इसके अलावा, आयुर्वेदिक औषधियों में भी इमली का इस्तेमाल बढ़ गया है. इस कारण, किसान अपनी पैदावार का सही मार्केटिंग करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 21 Oct, 2025 | 08:18 AM

Tamarind Farming: इमली की खेती आजकल किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर बन गई है. इसका कारण यह है कि बाजार में इमली की मांग लगातार बढ़ रही है. इमली सिर्फ स्वादिष्ट खाने का हिस्सा नहीं है, बल्कि इसका उपयोग जूस, अचार, मसाले, मिठाई और आयुर्वेदिक दवाओं में भी होता है. यही वजह है कि किसानों के लिए इमली की खेती एक लाभकारी विकल्प बनती जा रही है.

इमली की खेती के फायदे

सबसे बड़ी बात यह है कि इमली के पेड़ कम देखभाल में भी अच्छे फल देते हैं. यह सूखा सहिष्णु फसल है, यानी ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती. इसलिए शुरुआती खर्च कम आता है और मुनाफा ज्यादा होता है. इमली के पेड़ लंबी उम्र वाले होते हैं और सालों तक फल देते रहते हैं. इससे किसान को लंबे समय तक निरंतर आय मिलती है.

इसके अलावा, इमली की खेती ज्यादा मेहनत वाली फसल नहीं है. इसे उबड़-खाबड़ जमीन या थोड़ी खराब मिट्टी में भी आसानी से उगाया जा सकता है. इसलिए छोटे और बड़े किसान दोनों ही इसे अपनाकर अच्छी कमाई कर सकते हैं.

बढ़ती मार्केट डिमांड

आज के समय में इमली की मांग में तेजी आई है. गर्मियों में इमली का जूस, पाउडर और अचार बाजार में बहुत बिकते हैं. इसके अलावा, आयुर्वेदिक औषधियों में भी इमली का इस्तेमाल बढ़ गया है. इस कारण, किसान अपनी पैदावार का सही मार्केटिंग करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

इमली की खेती कैसे शुरू करें

इमली की खेती शुरू करने से पहले सही तैयारी और योजना बहुत जरूरी है. यह फसल गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी होती है और कम पानी में भी उगाई जा सकती है. नीचे हम इमली की खेती शुरू करने के सभी जरूरी कदम आसान और विस्तार से बता रहे हैं.

भूमि का चयन और तैयारी

इमली के पेड़ को अच्छी पैदावार के लिए ऐसे खेत की जरूरत होती है जहां पानी का निकास सही हो. मिट्टी का पीएच 6 से 8 के बीच होना चाहिए. भारी, गीली मिट्टी या पानी जमा होने वाली जगहों पर इमली के पेड़ ठीक से नहीं बढ़ते. जमीन को अच्छे से जोतकर उबड़-खाबड़ सतह को समतल कर लें. खेत में मिट्टी में पर्याप्त पोषक तत्व हों, इसके लिए खेत में जैविक खाद या गोबर की खाद डालना लाभकारी रहता है.

पौधों का चयन

इमली की खेती के लिए बाजार में तैयार नर्सरी पौधे उपलब्ध हैं. अच्छी किस्म के पौधे चुने जो रोग प्रतिरोधक और उच्च पैदावार वाले हों. आमतौर पर 6-12 महीने के पौधे रोपण के लिए उपयुक्त होते हैं.

रोपण का समय और तरीका

इमली के पेड़ का रोपण मानसून या बरसात के बाद किया जाता है. खाई में पौधे लगाते समय, 4-5 मीटर की दूरी रखें ताकि पेड़ फैलकर बढ़ सके. पौधे की जड़ को क्षतिग्रस्त किए बिना सावधानी से रोपण करें और तुरंत पानी दें.

पानी और पोषण

शुरुआती 1-2 साल में पौधों को नियमित पानी देना जरूरी है. इसके बाद इमली सूखा सहिष्णु हो जाती है और कम पानी में भी जीवित रह सकती है. खेत में समय-समय पर जैविक खाद, वर्मी कंपोस्ट या नीम की खली डालने से पौधों की वृद्धि और फल की गुणवत्ता बढ़ती है.

रोग और कीट प्रबंधन

इमली के पेड़ कम रोग ग्रस्त होते हैं, लेकिन कभी-कभी पत्ती, फल और डंठल में फफूंदी या कीट लग सकते हैं. इसके लिए जैविक कीटनाशक या आवश्यकतानुसार हल्के रासायनिक उपचार कर सकते हैं.

सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ

केंद्र और राज्य सरकारें इमली की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही हैं. इनमें पौधों की खरीद पर सब्सिडी, कृषि प्रशिक्षण और मार्केटिंग सहायता शामिल है. किसान इन योजनाओं का लाभ उठाकर शुरुआती खर्च कम कर सकते हैं.

कटाई और बिक्री

इमली के पेड़ आमतौर पर 3-4 साल में फल देने लगते हैं. फल को सही समय पर तोड़ें और सुखाकर या ताजा बेचें. इसके फल का उपयोग अचार, जूस और औषधीय उत्पादों में होता है, इसलिए बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है.

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Published: 21 Oct, 2025 | 08:11 AM

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