आज के समय में किसान पारंपरिक खेती को छोड़ ऐसी फसलों की खेती करना चाहते हैं जिनसे उनको अच्छा मुनाफा हो. सरकार भी किसानों को ऐसी खेती करने के लिए बढ़ावा देती है. सरकार किसानों को खेती के आधुनिक तरीकों के बारे में जानकारी देकर न केवल उन्हें तकनीकों से जोड़ती है बल्कि उनकी आमदनी में भी बढ़ोतरी होती है. खेती की आधुनिक तकनीकों में से एक तकनीक है नेट हाउस तकनीक. इस तकनीक की मदद से किसान ऑफ सीजन की सब्जियां भी उगा सकते हैं और अच्छी कमाई कर सकते हैं.
क्या है नेट हाउस तकनीक
नेट हाउस तकनीक खेती करने का एक आधुनिक तरीका है जिसमें एक जगह पर लोहे या बांस का एक ढांचा तैयार किया जाता है जिसे जाल या नेट से ढका जाता है.इसकी ऊंचाई औसतन 3से 4 मीटर होती है.इसका इस्तेमाल उच्च गुणवत्ता वाली सब्जियां, फूलों, नर्सरी पौधों और उन्नत किस्म की खेती के लिए किया जाता है. बता दें कि नेट हाउस तकनीक की मदद से पौधों को कीटों , तेज धूप, भारी बारिश, तेज हवाओं आदि से बचाया जा सकता है. इसके साथ ही इस तकनीक में पौधे एक नियंत्रित वातावरण में ग्रो करते हैं.
कुल लागत का 70 फीसदी खर्च देगी सरकार
राष्ट्रीय बागवानी मिशन और एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत नेट हाउस तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए किसानों को 50 से 70 फीसदी की सब्सिडी दी जाती है. नेट हाउस बनाने में किसान की औसतन लागत 3.5 लाख से 5 लाख तक होती है.यानी 3.5 लाख की लागत पर 50 फीसदी सब्सिडी के हिसाब से किसान को अपने पास से 1.75 लाख रुपये देने होंगे, वहीं 70 फीसदी सब्सिडी के हिसाब से किसानों को अपनी जेब से 1 लाख 5 हजार रुरपये ही देने होंगे.
ऑफ सीजन की फसलों से होगा मुनाफा
इस तकनीक की मदद से किसान अपनी फसलों को तेज धूप, बारिश और ओलावृष्टि से बचा सकते हैं. इसमें लगा नेट फसलों को कीड़ों से बचाता है. फसल का रंग, आकार और गुणवत्ता बेहतर होती है. इसके साथ ही इस तकनीक में किसान ऑफ सीजन की फसलों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. यानी किसान सीजनल और ऑफ सीजन दोनों की फसलों की खेती कर दोहरा मुनाफा कमा सकते हैं.
नेट हाउस में उगाई जाने वाली मुख्य फसलें
इस तकनीक से किसान कई तरह की सब्जियां, फूल, कई पौधों की नर्सरी तैयार कर सकते हैं. सब्जियों में शिमला मिर्च, टमाटर, खीरा, भिंडी और धनिया आदि शामिल हैं. फूलों में गुलाब , जर्बेरा, गुलडाउदी आदि. नेट हाऊस में टमाटर, बैंगन और मिर्च के बीजों का भी उत्पादन किया जा सकता है. वहीं इस तकनीक की मदद से कई सब्जियों, फलों और पौधों की नर्सरी भी तैयार की जा सकती है.