पंजाब में इस बार मॉनसून की बारिश जल्दी शुरू हुई और लगातार जारी है, जिससे खासकर खड़ी फसलों को लेकर किसानों की चिंता बढ़ गई है. आमतौर पर बारिश खेती के लिए फायदेमंद होती है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादा और रुका हुआ पानी फसलों के लिए नुकसानदायक हो सकता है. खासतौर पर ज्यादा बारिश से कपास की फसल को ज्यादा नुकसान पहुंचता है. लेकिन इस साल पंजाब में खेतों में जलभराव से सफेद मक्खी (whitefly) की संख्या में कमी आई है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (PAU) के एक्सटेंशन एजुकेशन डायरेक्टर डॉ. मखन सिंह भुल्लर का कहना है कि धान को पानी की काफी जरूरत होती है, इसलिए बारिश धान के किसानों के लिए फायदेमंद है. उन्होंने कहा कि धान के लिए पानी जरूरी है, लेकिन खेतों में पानी 48 घंटे से ज्यादा न रुके, नहीं तो फसल को नुकसान हो सकता है. लेकिन कपास उगाने वाले किसानों की स्थिति अलग है. PAU के प्रिंसिपल एंटोमोलॉजिस्ट डॉ. विजय कुमार ने भी डॉ. भुल्लर की बात से सहमति जताते हुए कपास की फसल पर खतरे को लेकर चेतावनी दी.
60 फीसदी कपास की खेती
डॉ. विजय कुमार का कहना है कि कपास की फसल पानी भराव के प्रति बेहद संवेदनशील होती है. खासकर फूल आने और बॉल बनने के समय अगर खेतों में पानी रुका रहे, तो इससे पैदावार और गुणवत्ता दोनों पर बुरा असर पड़ता है. पंजाब में कपास की सबसे ज्यादा खेती करने वाला जिला फाजिल्का है, जहां लगभग 60 फीसदी कपास उगाया जाता है. यहां के कई गांवों में खेतों में पानी भर गया है. मौजगढ़ गांव के पास के किसानों का कहना है कि उनके खेत कई दिनों से पानी में डूबे हैं, जिससे फसल को नुकसान साफ देखा जा सकता है.
पूरी फसल खराब होने का डर है
मौजगढ़ के एक किसान बलदेव सिंह ने कहा कि अगस्त में इतनी लगातार बारिश पहले कभी नहीं देखी. पौधे मुरझा रहे हैं और मिट्टी इतनी गीली हो गई है कि उसमें काम करना मुश्किल हो गया है. पूरी फसल खराब होने का डर है. हालांकि इस बार की बारिश से एक अप्रत्याशित फायदा भी हुआ है. सफेद मक्खी (whitefly) की संख्या में कमी आई है, जो आमतौर पर कपास की फसल को बहुत नुकसान पहुंचाती है. कीट विज्ञानियों के मुताबिक, ज्यादा नमी और बारिश सफेद मक्खियों (whiteflies) को पौधों से गिरा देती है, जिससे उनकी संख्या घट जाती है और फसल पर हमला कम होता है. सफेद मक्खियों के व्यवहार पर किए गए कई शोधों से भी साबित हुआ है कि बारिश से इनकी मृत्यु दर बढ़ जाती है.
कपास किसानों के लिए राहत
यह खबर खास तौर पर बठिंडा, मानसा, मुक्तसर, फरीदकोट और संगरूर जैसे जिलों के कपास किसानों के लिए राहत भरी है, जहां पहले सफेद मक्खियों के हमलों से भारी नुकसान होता रहा है. कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि वे अपने खेतों की लगातार निगरानी करें और जितना जल्दी हो सके, अतिरिक्त पानी की निकासी सुनिश्चित करें. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के डॉ. भुल्लर ने कहा कि आने वाले कुछ दिन बहुत अहम हैं. अगर बारिश यूं ही जारी रही और निकासी ठीक से नहीं हुई, तो नुकसान सिर्फ कपास ही नहीं, दालों और सब्जियों को भी हो सकता है.