Water Storage: देश के अलग–अलग हिस्सों में बारिश की रफ्तार कम होने के बाद जलाशयों का स्तर नीचे जाने लगा है. कई बांध 90 फीसदी भंडारण से नीचे आ चुके हैं. इसके बावजूद किसानों के चेहरे पर चिंता नहीं, बल्कि राहत साफ दिखाई दे रही है. वजह है जलाशयों में अभी भी इतना पानी मौजूद है कि रबी सीजन की शुरुआती सिंचाई बिना किसी समस्या के पूरी हो सके. गेहूं, चना, जौ और सरसों जैसी फसलों को इस समय जिस नमी की सबसे अधिक जरूरत होती है, वह खेतों तक आसानी से पहुंच रही है.
केंद्रीय जल आयोग (CWC) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि देश के जल संसाधनों पर दबाव जरूर है, लेकिन रबी फसलों को लेकर इस साल इंतजाम पिछले कई वर्षों की तुलना में कहीं बेहतर हैं.
कम बारिश का असर, फिर भी स्टोरेज बेहतर क्यों?
उत्तर–पूर्व मानसून इस समय कमजोर पड़ चुका है. इस वजह से जलाशयों में नया पानी आने की गति धीमी हो गई है. पिछले सप्ताह देश में बारिश 71 फीसदी तक कम रही, जिससे कई जिलों में जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई.
इसके बावजूद एक महीने पहले तक हुई अच्छी बारिश ने बड़े बांधों को भर दिया था. यही वजह है कि आज भी भारत के 161 प्रमुख जलाशयों में 88.68 फीसदी पानी मौजूद है, जो सामान्य औसत से करीब 20 फीसदी ज्यादा और पिछले साल की तुलना में 6.5 फीसदी अधिक है. विशेषज्ञों का कहना है कि नवंबर की शुरुआत में यही अधिक भंडारण रबी फसलों के लिए सबसे बड़ी ताकत साबित हुआ है.
पश्चिम और मध्य भारत—सबसे सुरक्षित स्थिति
पश्चिम भारत इस समय पूरे देश में जल भंडारण के मामले में सबसे मजबूत है. महाराष्ट्र और गुजरात के कई बांध लगभग 95 फीसदी से ऊपर भरे हुए हैं. महाराष्ट्र में तो कुछ जलाशय 100 फीसदी क्षमता तक पहुंच चुके हैं.
मध्य भारत की स्थिति भी अच्छी है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जलस्तर 86–95 फीसदी के बीच है. इसका सीधा फायदा गेहूं–चना उगाने वाले किसानों को मिल रहा है, क्योंकि शुरुआती सिंचाई बिना किसी बाधा के की जा रही है.
दक्षिण भारत में गिरावट, लेकिन हालत अभी भी नियंत्रण में
दक्षिणी राज्यों में बारिश कम होने के कारण जलस्तर थोड़ा नीचे आया है, खासकर कर्नाटक और केरल में. फिर भी कुल भंडारण 86 फीसदी है, जो रबी फसलों के लिए पर्याप्त माना जा रहा है.
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में जलाशयों की स्थिति सबसे बेहतर है और यहां किसानों को सिंचाई की कोई चिंता नहीं है.
पूर्वी भारत में चुनौती—झारखंड, बिहार और बंगाल में कम भंडारण
पूर्वी भारत में हालात बाकी क्षेत्रों की तुलना में कमजोर दिख रहे हैं. पश्चिम बंगाल में जलाशय सिर्फ 52 फीसदी भरे हैं, जबकि बिहार में यह स्तर 56 फीसदी है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आने वाले दिनों में बारिश नहीं हुई, तो यहां जल प्रबंधन को लेकर दबाव बढ़ सकता है.
IMD के अनुमान के मुताबिक, बंगाल की खाड़ी में बन रहे लो–प्रेशर सिस्टम से अगले सप्ताह तक बारिश लौट सकती है, जिससे इन राज्यों को काफी राहत मिलेगी.
रबी फसलों को कैसे मिल रही है मजबूत सिंचाई?
केंद्रीय जल आयोग का कहना है कि मौजूदा स्तर पर देश की नहरों, ट्यूबवेलों और बड़े सिंचाई प्रोजेक्ट्स में पर्याप्त पानी उपलब्ध है. यही कारण है कि रबी फसलों की बुवाई अभी तक सामान्य से 10 फीसदी अधिक दर्ज की गई है.
नवंबर और दिसंबर रबी की सबसे महत्वपूर्ण सिंचाई अवधि होती है, और इस बार जलाशयों में मौजूद जल भंडार इसे आसानी से संभालने में सक्षम है.