CWC report: भारत में इस साल मानसून के बाद भी बारिश का सिलसिला जारी है, और इसका सीधा फायदा देश के जलाशयों को मिला है. लगातार हो रही बारिश के चलते भारत के 161 प्रमुख जलाशयों में जलस्तर लगातार पांचवें सप्ताह 90 प्रतिशत से अधिक बना हुआ है. यह आंकड़ा किसानों और जल प्रबंधन के लिए बेहद उत्साहजनक माना जा रहा है.
केंद्रीय जल आयोग (CWC) द्वारा जारी ताजा साप्ताहिक बुलेटिन के अनुसार, देशभर के 93 बांध 90 फीसदी से अधिक क्षमता तक भरे हुए हैं, जिनमें से 48 बांध तो पूरी तरह भर चुके हैं. यह स्थिति पिछले साल की तुलना में कहीं बेहतर है. इस बार न सिर्फ बारिश अधिक हुई, बल्कि जलाशयों में पानी भी लंबे समय तक बना हुआ है, जो आने वाले रबी सीजन के लिए वरदान साबित हो सकता है.
औसत से अधिक पोस्ट-मानसून वर्षा
1 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच देश में 45 फीसदी अधिक पोस्ट-मानसून वर्षा दर्ज की गई है. इस अतिरिक्त बारिश के कारण नदियों, झीलों और जलाशयों में पानी का स्तर काफी ऊपर पहुंच गया है. वर्तमान में जलस्तर पिछले वर्ष की तुलना में करीब 5.5 फीसदी अधिक और पिछले 10 वर्षों के औसत स्तर से लगभग 18.5 फीसदी ज्यादा है.
मौसम विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह स्थिति इस साल की देर तक चली मानसूनी गतिविधियों और अक्टूबर की अतिरिक्त वर्षा की वजह से बनी है.
पश्चिम भारत: जलाशयों में सबसे अच्छा भंडारण
पश्चिमी भारत यानी महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा में इस साल रिकॉर्ड बारिश हुई है. इस क्षेत्र में 149 फीसदी अधिक पोस्ट-मानसून वर्षा दर्ज की गई, जिससे यहां के 50 प्रमुख जलाशय 97 फीसदी क्षमता तक भर चुके हैं.
महाराष्ट्र: 98 फीसदी क्षमता तक भरे जलाशय
गुजरात: लगभग 97 फीसदी जलस्तर
गोवा: एकमात्र जलाशय पूरी तरह भरा
कुल 37.357 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) की क्षमता वाले इन जलाशयों में अब 36.325 BCM पानी उपलब्ध है. यह पश्चिम भारत के लिए बेहद सकारात्मक स्थिति है.
मध्य भारत: रबी फसलों के लिए शुभ संकेत
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड को मिलाकर बने मध्य क्षेत्र में औसतन 92 फीसदी जलस्तर दर्ज किया गया है.
मध्य प्रदेश: 96 फीसदी
उत्तराखंड: 94 फीसदी
छत्तीसगढ़: 86 फीसदी
उत्तर प्रदेश: 79 फीसदी
यहां कुल 48.588 BCM क्षमता में से 44.690 BCM पानी भरा हुआ है. यह स्थिति रबी सीजन की गेहूं, चना, और सरसों जैसी फसलों के लिए बेहद अनुकूल है, क्योंकि पर्याप्त जल उपलब्धता से सिंचाई में कोई दिक्कत नहीं होगी.
दक्षिण भारत: अच्छी स्थिति, लेकिन सावधानी जरूरी
दक्षिण भारत के तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और केरल में भी जलाशय औसतन 90 फीसदी तक भरे हुए हैं.
तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश: 94 फीसदी
कर्नाटक: 88 फीसदी
तेलंगाना: 91 फीसदी
केरल: 81 फीसदी
कुल 54.939 BCM की क्षमता में से 49.417 BCM पानी उपलब्ध है. विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले हफ्तों में बारिश कम होने से जलस्तर में हल्की गिरावट आ सकती है, लेकिन फिलहाल स्थिति स्थिर है.
उत्तर और पूर्वोत्तर भारत: स्थिर लेकिन संतुलित स्थिति
उत्तर भारत के हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में जलाशय औसतन 86 फीसदी क्षमता तक भरे हुए हैं. वहीं, पूर्वोत्तर क्षेत्र (बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम) में जलस्तर 82 फीसदी तक बना हुआ है.
मेघालय और त्रिपुरा के जलाशय लगभग पूरे भरे हुए हैं, जबकि झारखंड और बिहार में स्थिति थोड़ी सामान्य है.
किसानों के लिए बड़ी राहत
जलाशयों में इतना अधिक जल भंडारण किसानों के लिए खुशखबरी है. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे रबी फसलों की बुवाई के लिए मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी रहेगी और सिंचाई की जरूरतें आसानी से पूरी हो सकेंगी.
हालांकि, भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी दी है कि अगले सप्ताह देशभर में हल्की वर्षा हो सकती है, जिससे जलाशयों के स्तर में मामूली कमी आ सकती है.
लेकिन फिलहाल की स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि देश के जलाशय भरे हैं, मिट्टी में नमी है और किसानों की मेहनत को पानी की कमी नहीं रोकेगी. यह वर्ष कृषि और जल प्रबंधन दोनों के लिए सकारात्मक संकेत लेकर आया है.