बाढ़ से 1509 किस्म धान को सबसे ज्यादा नुकसान.. पैदावार में गिरावट, 25 हजार प्रति एकड़ मुआवजा कब मिलेगा?

हरियाणा में इस साल मॉनसून के दौरान सामान्य से 38 फीसदी ज्यादा बारिश हुई, जिससे धान की फसल को भारी नुकसान हुआ. खेतों में पानी भरने और नदियों में बाढ़ से उत्पादन घटा. किसानों को प्रति एकड़ 10,000 से 25,000 रुपये तक का नुकसान हुआ है.

नोएडा | Updated On: 19 Sep, 2025 | 01:28 PM

Haryana News: इस साल मॉनसून में अब तक हरियाणा में 566.6 मिमी बारिश हुई है, जो कि सामान्य से 38 फीसदी ज्यादा है. ज्यादा बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया और यमुना, घग्गर, मारकंडा, टांगरी जैसी नदियों में पानी का स्तर बढ़ने से किसानों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आमतौर पर ज्यादा बारिश धान की फसल के लिए फायदेमंद होती है, लेकिन अगर खेतों में लंबे समय तक पानी भरा रहे, तो इससे पौधों की तने को नुकसान हो सकता है. साथ ही फूल बनने की प्रक्रिया भी प्रभावित हो सकती है. खास बात यह है कि बाढ़ से 1509 किस्म धान को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. ऐसे में किसानों को 25,000 रुपये एकड़ मुआवजे का इंतजार है. हालांकि, सरकार ने गिरदावरी कराकर जल्द मुआवजा देने का आश्वासन दिया है.

अंबाला के कृषि उपनिदेशक जसविंदर सैनी ने कहा कि शुरुआती कटाई की रिपोर्ट में प्रति एकड़ 10 क्विंटल तक पैदावार में गिरावट देखी गई है. उन्होंने कहा कि पिछले साल औसतन 34 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार होती थी, लेकिन इस बार कई इलाकों में यह घटकर 20-22 क्विंटल प्रति एकड़ रह गई है. जैसे-जैसे कटाई बढ़ेगी, बाकी इलाकों से भी आंकड़े मिलेंगे. वहीं, कुरुक्षेत्र के कृषि अधिकारी करम चंद ने कहा कि उनके इलाके में धान की 1509 किस्म की फसल में नुकसान देखा गया है.

10,000 एकड़ फसल को पहुंचा नुकसान

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि मेरे क्षेत्र में अभी कटाई शुरू ही हुई है, लेकिन कुछ जगहों पर 10 फीसदी तक पैदावार में गिरावट की रिपोर्ट है. हम मान रहे हैं कि शाहाबाद, पिहोवा और इस्माइलाबाद के मारकंडा नदी किनारे के करीब 10,000 एकड़ इलाके में पानी जमा रहने से फसल को नुकसान होगा. खासकर यमुनानगर के रादौर, जगाधरी और खिजराबाद में यमुना नदी के किनारे बसे इलाकों में भारी नुकसान हुआ है. वहीं, कुरुक्षेत्र के शाहाबाद, पिहोवा, बाबैन, इस्माइलाबाद और अंबाला जिले के मुल्लाना, बराड़ा, अंबाला कैंट और अंबाला शहर में मारकंडा, टांगरी और घग्गर नदियों की बाढ़ ने कई गांवों को प्रभावित किया है.

धान की पैदावार में आई गिरावट

इन जिलों के साथ-साथ करनाल, कैथल और पानीपत को मिलाकर इस इलाके को हरियाणा का ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है. यमुनानगर के किसान नेता संजू गुड़ियाना ने कहा कि पहले ही किसान नुकसान झेल रहे थे, अब पैदावार में गिरावट से प्रति एकड़ 10,000 से 25,000 रुपये तक का घाटा और बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा कि बारिश और पौधों में फैल रहे ड्वार्फिंग वायरस की वजह से किसानों को नुकसान तो होगा ही, लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि इस बार किसी भी किसान को मुनाफा नहीं होगा.

क्या है किसान नेताओं की मांग

भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रदेश अध्यक्ष रत्तन मान ने राज्य सरकार से मांग की है कि जब धान की सरकारी खरीद शुरू हो, तो किसानों को राहत दी जाए. उन्होंने कहा कि सरकार इस बार 17 फीसदी की तय नमी की सीमा को बढ़ाकर 19 फीसदी तक की नमी वाली फसल भी खरीदे, ताकि किसानों को कुछ राहत मिल सके.

विशेषज्ञों के मुताबिक, यह बीमारी मुख्य रूप से उच्च उत्पादन देने वाली, जल्दी रोपी गई गैर-बासमती किस्मों में देखने को मिली, खासकर PR 114, PR 131 और कुछ जगहों पर PR 126 किस्मों में. ये फसलें आमतौर पर 15-20 जून के बीच लगाई जाती हैं. पिछले महीने हरियाणा विधानसभा में कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा था कि राज्य में बोई गई लगभग 40 लाख एकड़ धान की फसल में से करीब 92,000 एकड़ फसल इस वायरस से प्रभावित पाई गई है.

5.27 लाख किसानों ने दर्ज कराई फसल बर्बादी की रिपोर्ट

बारिश और जलभराव से हुए नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने e-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर आवेदन लेने की प्रक्रिया 15 सितंबर तक चालू रखी. अब तक 5.27 लाख किसानों ने 6,390 गांवों से कुल 30.95 लाख एकड़ भूमि का नुकसान दर्ज कराया है. ये आंकड़े राज्य के सभी 23 जिलों से आए हैं. राजस्व विभाग द्वारा नुकसान का आकलन (गिरदावरी) भी इस समय चल रहा है, जिसे इस महीने के अंत तक पूरा किए जाने की संभावना है.

Published: 19 Sep, 2025 | 01:03 PM

निम्नलिखित फसलों में से किस फसल की खेती के लिए सबसे कम पानी की आवश्यकता होती है?

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गन्ना
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