Punjab Paddy Procurement: पंजाब में आज से आधिकारिक रूप से धान की खरीद शुरू हो गई है. खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग ने राज्य में खरीफ फसल की खरीद के लिए 1,872 मंडियों को खोला है. पहले हर साल खरीद 1 अक्टूबर से शुरू होती थी, लेकिन इस बार जल्दी बोई गई किस्मों को देखते हुए खरीद प्रक्रिया दो हफ्ते पहले शुरू की गई है. हालांकि, अगस्त में राज्य में देर से हुई बारिश और बाढ़ के कारण करीब 5 लाख एकड़ धान की फसल डूब गई थी, जिससे फसल में नमी काफी ज्यादा है. मंडी बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि फसल में नमी की अधिकतम सीमा 17 फीसदी तय है, इसलिए खरीद में थोड़ी देरी होगी. कई मंडियों में अभी तक 160 टन धान पहुंच चुकी है.
उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि फसल की आमद अक्टूबर के पहले हफ्ते से तेजी से शुरू हो जाएगी. साथ ही किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपनी फसल को अच्छी तरह सुखाकर ही मंडियों में लेकर आएं. राजपुरा, कपूरथला और अमृतसर की मंडियों में अब तक करीब 160 टन धान पहुंच चुकी है. कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि कई इलाकों में अभी भी पानी भरा हुआ है, जिससे कटाई की मशीनें नहीं चल पा रहीं और खरीद का काम भी सुचारु रूप से शुरू नहीं हो पा रहा.
1,872 मंडियों को खोलने की अनुमति
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य कैबिनेट ने सोमवार को धान खरीद प्रक्रिया जल्दी शुरू करने की मंजूरी दे दी है और इसके तहत 1,872 मंडियों को खोलने की अनुमति दी गई थी, ताकि किसानों को फसल बेचने में सुविधा मिल सके. इससे पहले जून में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने घोषणा की थी कि इस बार जल्दी तैयार होने वाली धान की किस्मों की व्यापक बुवाई को देखते हुए खरीद प्रक्रिया भी पहले शुरू की जाएगी. लेकिन अब लगातार बारिश के कारण यह योजना प्रभावित हो गई है, क्योंकि जल्दी पकने वाली फसलें भी खराब हो गई हैं.
32.5 लाख हेक्टेयर में धान की खेती
बाढ़ से प्रभावित जिलों जैसे कपूरथला, अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर और फाजिल्का में खेतों में पानी भरा हुआ है और फसल अभी तक पूरी तरह तैयार नहीं हो पाई है. ऐसे में इन इलाकों में 16 सितंबर से मंडियों का कामकाज सामान्य रूप से शुरू होने की संभावना कम है. इस बार पंजाब में कुल 32.5 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई है, जिसमें से 6.81 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्रीमियम बासमती धान बोई गई है.
180 लाख टन पैदावार की उम्मीद
जुलाई में पंजाब सरकार ने अनुमान लगाया था कि इस बार अनुकूल बुवाई की वजह से 180 लाख टन धान की रिकॉर्ड पैदावार होगी. लेकिन अगस्त में लगातार बारिश और बांधों से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के कारण कई निचले इलाकों में बाढ़ आ गई, जिससे हालात बदल गए. राज्य सरकार ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,389 रुपये प्रति क्विंटल देने के लिए कैश क्रेडिट लिमिट (CCL) का इंतजाम कर लिया है.