Mandi Bhav: गिरकर 800 रुपये क्विंटल हुआ प्याज, किसानों को मिलेगी 1500 रुपये क्विंटल आर्थिक मदद ?

महाराष्ट्र में प्याज की कीमतें गिरने से परेशान किसान 12 सितंबर से 'फोन प्रोटेस्ट' कर रहे हैं. उनका कहना है कि NAFED और NCCF द्वारा सस्ती प्याज बेचने से बाजार भाव और गिर रहा है. किसान 1,500 रुपये प्रति क्विंटल की सरकारी मदद की मांग कर रहे हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 19 Sep, 2025 | 12:08 PM

Mandi Rate: महाराष्ट्र में प्याज की कीमतें गिरकर 800 रुपये से 1000 रुपये क्विंटल हो गई हैं. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है. ऐसे में नाराज हजारों किसान 12 सितंबर से ‘फोन प्रोटेस्ट’ कर रहे हैं.  किसान मांग कर रहे हैं कि सरकार तुरंत दखल दे और उन्हें 1,500 रुपये प्रति क्विंटल की मदद दी जाए. अन्नदाताओं का कहना है कि उत्पादन लागत 2,200 से 2,500 रुपये प्रति क्विंटल है. इसके चलते वे लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं.

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल महाराष्ट्र में जरूरत से ज्यादा प्याज का उत्पादन हुआ है. इसके साथ ही एक्सपोर्ट पॉलिसी में भी स्थिरता नहीं है. विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि सरकार को प्याज का निर्यात  सुव्यवस्थित करना चाहिए, एक स्थायी नीति बनानी चाहिए और विदेशों में खरीदारों के साथ भरोसे का रिश्ता बनाना चाहिए, ताकि किसानों को स्थायी बाजार मिल सके. एक्सपर्ट का कहना है कि भारत की प्याज कीमत स्थिरीकरण नीति का मकसद है कि प्याज की कीमतों में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव न हो. इसके लिए सरकार ‘प्राइस स्टेबिलाइजेशन फंड (PSF)’ के तहत एक बफर स्टॉक यानी प्याज का भंडार बनाती है.

सरकार के इस नियम से हो रहा नुकसान

जब बाजार में प्याज की कमी होती है या कीमतें बहुत बढ़ जाती हैं, तो सरकार इस स्टॉक से प्याज निकालकर शहरों में बेचती है. दुकानों और मोबाइल वैन के जरिए ताकि आम लोगों को सस्ती प्याज मिल सके और जमाखोरी रोकी जा सके. लेकिन किसान संगठनों  का कहना है कि अभी जब किसान पहले से ही प्याज के कम दामों से परेशान हैं, तब NCCF और NAFED जैसी सरकारी संस्थाएं अगर सस्ती प्याज बेचती हैं, तो इससे बाजार में दाम और गिर जाते हैं. इसका सीधा नुकसान किसानों को होता है, क्योंकि उन्हें अपनी फसल के और भी कम पैसे मिलते हैं.

प्याज बेचना बंद करे एजेंसियां

इसीलिए महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक किसान संगठनों की मांग है कि NCCF और NAFED को शहरों में प्याज बेचना बंद करना चाहिए, ताकि किसानों को उनके प्याज का सही दाम मिल सके. साथ ही किसानों और विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि इस समय किसान अब भी अपनी रबी सीजन की प्याज का स्टॉक  संभाल कर बैठे हैं और जैसे-तैसे बाजार में बेचने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन जब उन्हें पहले ही लागत से कम दाम मिल रहे हैं, ऐसे में NAFED और NCCF के सस्ते स्टॉक बाजार में आने से कीमतें और नीचे गिर रही हैं. इससे किसानों को बड़ा नुकसान हो रहा है.

प्याज के निर्यात में कमी

2022-23 में भारत ने 25.25 लाख टन प्याज एक्सपोर्ट किया. लेकिन 2024-25 में यह घटकर सिर्फ 11.47 लाख टन रह गया. विशेषज्ञों का कहना है कि बार-बार एक्सपोर्ट पॉलिसी में बदलाव से भारत की अंतरराष्ट्रीय बाजार में विश्वसनीयता घट रही है. बांग्लादेश और श्रीलंका, जो पहले भारत से बड़ी मात्रा में प्याज खरीदते थे, अब पीछे हट गए हैं. सरकार को चाहिए कि वो प्याज निर्यात के लिए स्थायी और भरोसेमंद नीति बनाए, ताकि विदेशी खरीदारों का भरोसा लौटे और भारत की पकड़ फिर से मजबूत हो सके.

 

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Published: 19 Sep, 2025 | 12:05 PM

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