cashew farming: अगर आप खेती से अच्छा मुनाफा कमाने की सोच रहे हैं और चाहते हैं कि जोखिम कम हो, तो काजू की खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है. भारत में काजू की मांग पूरे साल बनी रहती है. बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को यह पसंद आता है और बाजार में इसकी कीमत हमेशा ऊंची रहती है. यही वजह है कि कई किसान पारंपरिक फसलों की जगह अब काजू को नकदी फसल के रूप में अपना रहे हैं. तो चलिए जानते हैं किसानों को क्यों करनी चाहिए काजू की खेती.
क्यों खास है काजू की खेती
काजू न सिर्फ एक स्वादिष्ट सूखा मेवा है, बल्कि यह किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभदायक फसल भी है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक बार पौधा लग जाने पर कई सालों तक फल देता है. इसके फलों के साथ-साथ इसके छिलकों से निकलने वाला तेल (CNSL) भी कई उद्योगों में काम आता है, जैसे पेंट, लुब्रिकेंट्स और प्लास्टिक प्रोडक्ट्स यानी, काजू की हर चीज से कमाई संभव है.
कैसी जमीन और मौसम चाहिए
काजू गर्म और शुष्क इलाकों में अच्छी तरह पनपता है. इसकी खेती के लिए 20 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है. यह पौधा ज्यादा ठंड नहीं सह पाता.
मिट्टी: लाल बलुई दोमट मिट्टी या हल्की काली मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है.
सिंचाई: शुरुआती दिनों में हल्की सिंचाई जरूरी होती है, लेकिन एक बार पेड़ बड़ा हो जाए तो ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती.
फसल अवधि: पौधा लगभग 3 साल में फल देने लगता है और 25-30 साल तक उत्पादक बना रहता है.
किन राज्यों में होती है काजू की खेती
भारत में काजू उत्पादन के लिए कई राज्य प्रसिद्ध हैं. इसमें मुख्य रूप से केरल, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है. अब झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ जिले भी काजू उत्पादन में आगे आ रहे हैं.
भारत दुनिया के प्रमुख काजू उत्पादक देशों में से एक है, और विश्व बाजार में भारतीय काजू की काफी मांग रहती है.
लागत और मुनाफे का हिसाब
अगर आप एक हेक्टेयर जमीन पर खेती करते हैं, तो उसमें करीब 500 पौधे लगाए जा सकते हैं. हर पौधे से औसतन 20 किलो काजू की उपज होती है, यानी एक हेक्टेयर में लगभग 10 टन काजू का उत्पादन संभव है.
हालांकि प्रोसेसिंग (भुनाई और ग्रेडिंग) में कुछ खर्च जरूर आता है, लेकिन काजू का बाजार भाव 1000 से 1200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाता है. ऐसे में किसान सालाना लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं.
सरकार से भी मिलती है मदद
कई राज्य सरकारें और कृषि विभाग काजू बागवानी को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और तकनीकी प्रशिक्षण भी दे रहे हैं. यदि किसान वैज्ञानिक पद्धति से खेती करें और प्रोसेसिंग यूनिट से जुड़ें, तो कमाई कई गुना बढ़ सकती है.