काजू हमेशा से भारत की शान रहा है. चाहे मिठाइयों में हो या ड्राई फ्रूट्स के डिब्बों में, काजू हमेशा खास जगह रखता है. एक समय था जब भारत दुनिया में सबसे ज्यादा काजू निर्यात करता था. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. पिछले 15 सालों में भारत के काजू निर्यात में 50 फीसदी से भी ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है.
2011-12 में थी ऊंचाई, अब आई गिरावट
2011-12 में भारत ने काजू निर्यात का रिकॉर्ड बनाया था, तब 1.31 लाख टन का निर्यात क्या गया था. लेकिन 2022-23 में यह घटकर सिर्फ 59,581 टन रह गया. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह पिछले 20 सालों में सबसे कम निर्यात है. और अब तो 2024 तक आते-आते यह आंकड़ा घटकर सिर्फ 45,000 टन के करीब पहुंच गया है.
गिरावट के पीछे कारण क्या हैं?
1. कड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा
वियतनाम और अफ्रीकी देशों ने कम लागत और आधुनिक तकनीक के बल पर बाजार में भारत को कड़ी टक्कर दी है. अब विदेशी खरीदार सस्ता और प्रोसेस्ड काजू उन्हीं देशों से खरीदना पसंद कर रहे हैं.
2. कच्चे माल पर निर्भरता
भारत अपने काजू प्रोसेसिंग के लिए ज्यादातर कच्चे काजू अफ्रीकी देशों से आयात करता है. इस पर लगने वाला शुल्क और परिवहन लागत निर्यात को महंगा बना देती है.
3. उच्च उत्पादन लागत
भारत में काजू की प्रोसेसिंग में मानव श्रम की जरूरत ज्यादा होती है, जिससे लागत काफी बढ़ जाती है. दूसरी ओर, कुछ देश मशीनों से प्रोसेसिंग कर लागत को कम कर रहे हैं.
भारत में काजू की कीमतें क्यों हैं ज्यादा?
भारत में काजू की कीमतें बाकी देशों की तुलना में काफी ऊंची हैं. फरवरी 2024 तक यहां W240 ग्रेड काजू की कीमत करीब $8,585 प्रति टन थी, और W320 ग्रेड काजू की कीमत $7,935 प्रति टन. वहीं दूसरी तरफ, वियतनाम में फरवरी 2025 में काजू की औसत कीमत सिर्फ $6,821 प्रति टन रही. यह अंतर साफ दिखाता है कि भारत में काजू न सिर्फ महंगा है, बल्कि इसकी लागत भी ज्यादा आती है.
व्यापार जगत की चिंता
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, बेटा ग्रुप के चेयरमैन जे. राजमोहन पिल्लै के मुताबिक, 2023-24 में भारत का काजू निर्यात राजस्व केवल $339.21 मिलियन रहा, जो पिछले 7 वर्षों में सबसे कम है.
वहीं, नट्स एंड ड्राई फ्रूट्स काउंसिल ऑफ इंडिया की अध्यक्ष गुंजन जैन का कहना है कि भारत का काजू निर्यात अब अपने “रिकॉर्ड निम्न स्तर” पर आ चुका है.
आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को फिर से काजू व्यापार में मजबूती दिलाने के लिए कुछ अहम कदम उठाने होंगे. सबसे पहले, काजू प्रोसेसिंग में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल बढ़ाना होगा ताकि लागत कम हो और गुणवत्ता बेहतर बने. इसके साथ ही, कच्चे काजू के लिए आयात पर निर्भरता घटाने के लिए घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना जरूरी है.
प्रोसेसिंग को मशीनों के जरिए स्वचालित बनाकर समय और श्रम दोनों की बचत की जा सकती है. आखिर में, सरकार को इस उद्योग के लिए विशेष नीति और समर्थन देना होगा, जिससे किसान, व्यापारी और निर्यातक सभी को लाभ मिल सके.