क्या तेल आयात के चलते किसान तिलहन की खेती से बना रहे हैं दूरी, आखिर SOPA ने कृषि मंत्री को क्यों लिखा पत्र

SOPA ने सरकार से खाने वाले तेलों पर आयात शुल्क 10 फीसदी बढ़ाने की मांग की है, ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके. सस्ती आयात और घटती कीमतों से तिलहन की खेती प्रभावित हो रही है.

Kisan India
नोएडा | Published: 8 Sep, 2025 | 11:30 PM

सोयाबीन प्रोसेसर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने सरकार से खाने वाले तेलों (edible oils) पर आयात शुल्क कम से कम 10 फीसदी बढ़ाने की मांग की है. उनका कहना है कि देश में तेल की सस्ती आयात और घरेलू कीमतें बहुत कम होने के कारण किसान तिलहन की खेती से पीछे हट रहे हैं. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भेजे गए पत्र में SOPA के चेयरमैन डेविश जैन ने लिखा कि किसानों को बेहतर दाम नहीं मिल रहे, इसलिए उन्होंने या तो तिलहन की खेती कम कर दी है या पूरी तरह छोड़ दी है. जैन ने मांग की कि खाने वाले तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाया जाए, जिससे किसानों को अच्छा दाम मिले और वे दोबारा तिलहन उगाने के लिए प्रोत्साहित हों.

उन्होंने कहा कि यह कदम किसानों का भरोसा वापस लाएगा, उत्पादन बढ़ेगा और देश की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत कदम होगा. गौरतलब है कि इस साल सोयाबीन की बुवाई का रकबा 5 फीसदी से ज्यादा घट गया है, क्योंकि किसानों को फसल के उचित दाम नहीं मिल पाए. इस साल पूरे मार्केटिंग सीजन में सोयाबीन के दाम लगातार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे रहे हैं, जिससे सरकार को किसानों से फसल खरीदनी पड़ी.

आयात शुल्क 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया

मई में सरकार ने खाने वाले कच्चे तेलों, जैसे कि सोयाबीन तेल पर आयात शुल्क 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया था, ताकि घरेलू रिफाइनिंग को बढ़ावा मिले और खाद्य महंगाई पर काबू पाया जा सके. हालांकि, रिफाइंड तेलों पर ड्यूटी पहले जैसी ही 35.75 फीसदी बनी रही. SOPA के अनुसार, सरकारी खरीद के बाद भी स्टॉक को घाटे में बेचना पड़ा. मौजूदा फसल की स्थिति को देखते हुए फिर से सरकार को करीब 5,000 करोड़ रुपये खर्च कर सोयाबीन खरीदनी पड़ सकती है.

सोयाबीन तेल के दाम भी कम हैं

संघ ने कहा कि अभी खाने वाले तेलों की कीमतों से महंगाई नहीं बढ़ रही है और सोयाबीन तेल के दाम भी कम हैं. उपभोक्ताओं के हित जरूरी हैं, लेकिन एक संतुलन भी जरूरी है. उपभोक्ताओं को तिलहन उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए उचित दाम देने के लिए तैयार रहना चाहिए. SOPA (सोयाबीन प्रोसेसर एसोसिएशन ऑफ इंडिया) का कहना है कि पिछले कई सालों से खाने वाले तेलों पर बहुत कम या शून्य आयात शुल्क की नीति ने देश की तिलहन अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचाया है.

इस असंतुलन को ठीक किया जाए

SOPA ने अपनी अपील में कहा कि अब समय आ गया है कि इस असंतुलन को ठीक किया जाए. इसके लिए ऐसी नीति जरूरी है जो उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करे और किसानों को उनकी फसलों का सही और लाभदायक मूल्य भी दिलाए. संघ के अनुसार, खाने वाले तेलों के आयात पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाना इस दिशा में एक अहम और जरूरी कदम होगा.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 8 Sep, 2025 | 11:30 PM

फलों और सब्जियों के उत्पादन में भारत किस नंबर पर है?

Side Banner

फलों और सब्जियों के उत्पादन में भारत किस नंबर पर है?