अगर आप किसान हैं और रबी सीजन में कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल की खेती करना चाहते हैं को शकरकंद (Sweet Potato) की खेती एक अच्छा ऑप्शन हो सकती है. ह एक ऐसी फसल है जो कम समय में तैयार हो जाती है और कम सिंचाई में भी अच्छा उत्पादन देती है. आज के समय में किसान पारंपरिक फसलों की खेती को छोड़कर नकदी फसलों की खेती की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. शकरकंद भी ऐसी ही एक नकदी फसल है जो कि किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है. ऐसे में किसान अगर सही तरीके से शकरकंद की खेती करते हैं तो उन्हें इसकी फसल से मनचाहा मुनाफा मिल सकता है.
90 दिनों में ज्यादा मुनाफा
जो किसान कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं वे शकरकंद की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. शकरकंद एक कम अवधि वाली फसल है जो लगभग 90 से 100 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. साथ ही इसकी खासित है कि इसके पौधौं को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती है. कम पानी में भी शकरकंद की फसल अच्छी पैदावार देती है. बात करें इसकी फसल से होने वाली पैदावार तो इसकी प्रति एकड़ फसल से किसान लगभग 80 से 100 क्विंटल तक उपज ले सकते हैं. बता दें कि, एक एकड़ में शकरकंद की खेती से लगभग 20 हजार से 25 हजार रुपये तक की लागत आ सकती है. ऐसे में अगर बाजार में शकरकंद का भाव 20 से 25 रुपये प्रति किलोग्राम भी है तो किसान आसानी से 1.5 से 2 लाख रुपये तक का शुद्ध मुनाफा कमा सकते हैं.
पोषक तत्वों से भरपूर
मीडिया रिपोर्टेस के अनुसार, शकरकंद की फसल केवल किसानों को ज्यादा मुनाफा देने तक ही सीमित नहीं है. बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी ये कई तरह से फायदेमंद है. इसमें विटामिन A, C, B6, आयरन, फाइबर और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो कि शरीर को एनर्जी देने के साथ-साथ पाचन क्रिया को भी सुधारते हैं. यही कारण है कि शकरकंद की मांग घरों के साथ-साथ प्रोसेसिंग इंडस्ट्री और बेकरी सेक्टर में भी बढ़ रही है.
ऐसे करें खेती
शकरकंद की फसल को लगाने के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी बेस्ट होती है. किसानों को सलाह दी जाती है कि फसल की बुवाई से पहले खेत की जुताई जरूर करें और जैविक खाद डालकर नालियां बनाएं. मिट्टी में नर्सरी से लाए गए पौधों की 30×60 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपाई करें. फसल को जरूरत के अनुसार पर्याप्त मात्रा में पानी दें लेकिन ध्यान रहे कि खेत में जलभराव न हो ताकि फसल सड़े न. फसल तैयार होने पर कंदों को सावधानीपूर्वक निकालें ताकि नुकसान न हो.