कालानमक चावल अपनी औषधीय खूबियों के साथ ही स्वाद के चलते तेजी से लोगों के घरों में जगह बना रहा है. कालानमक चावल की मांग के अनुरूप सप्लाई नहीं हो पाने के संकट को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने सिद्धार्थनगर जिले में रिसर्च सेंटर बना रही है. अब यहां पर चावल स्टोरेज के लिए वेयर हाउस भी स्थापित किया जा रहा है. इसके लिए 77 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं. दावा है कि इसके बाद देशभर में 12 महीने तक कालानमक चावल की सप्लाई का संकट खत्म होगा. वहीं, कालानमक बोर्ड के गठन की भी घोषणा की गई है.
उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के अनुसार कालानमक धान के स्टोरेज सुविधा बनाने के लिए जिलाधिकारी ने नौगढ़ तहसील के बर्डपुर नंबर सात में बंजर जमीन को राजस्व विभाग के दस्तावेजों में कृषि विभाग के नाम करा दी है, जिस पर वेयरहाउस बनाया जाएगा. इसके निर्माण में खर्च होने वाली रकम 76.97 लाख रुपये राज्य सभा सांसद बृजलाल ने अपनी निधि से दी है. वेयरहाउस निर्माण के बाद ओडीओपी में शामिल कालानमक के भंडारण में परेशानी नहीं होगी. वहीं, काला नमक की खेती करने वाले किसानों को स्टोरेज और बिक्री की सुविधा मिलेगी.
किसानों के लिए स्टोरेज और बिक्री आसान होगी
नौगढ़ तहसील के ग्रामसभा बर्डपुर नंबर सात की जमीन को वेयरहाउस बनाने के लिए इसलिए भी चुना गया है क्योंकि इस इलाके के किसान कालानमक चावल की खेती खूब करते हैं. यहां गोदाम बनने से क्षेत्र के किसानों को धान की फसल की बिक्री और भंडारण की सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे किसानों को काला नमक चावल का दाम भी अच्छा मिल सकेगा.
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कालानमक चावल बोर्ड का गठन
एक जनपद एक उत्पाद में चयनित होने के बाद कालानमक धान की खेती और बिक्री को बढ़ावा देने की पहल शुरू हो गई.राज्य सरकार ने पहले यहां कालानमक रिसर्च सेंटर बनाने की घोषणा की थी. अब वेयरहाउस भी बनाया जा रहा है. इसके साथ ही कालानमक धान की खेती उसकी समस्या और बाजार को लेकर काला नमक बोर्ड का गठन भी कर दिया गया है. बोर्ड में जिला स्तर के अधिकारी के अलावा किसान और वैज्ञानिक व कारोबारी सदस्य बनाए गए हैं. कालानमक बोर्ड किसानों की फसल बिक्री और स्टोरेज की व्यवस्था संभालेगा.
कालानमक धान की खेती का रकबा बढ़ा
कालानमक चावल की देशभर में खूब मांग है. हालांकि, फसल के लिए अनुकूल मौसम समेत उत्पादन दिक्कतों को देखते हुए भी किसान कालानमक चावल की खेती खूब कर रहे हैं और यही वजह है कि कालानमक धान का रकबा भी बढ़ा है. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार सिद्धार्थनगर जिले में कालानमक धान की खेती का रकबा साल 2018 में केवल 2700 हेक्टेयर थी. वह साल 2024 में बढ़कर लगभग 18,000 हेक्टेयर पहुंच गया है और 2025 में यह रकबा 25 हजार हेक्टेयर का भी आंकड़ा पार कर गया है.