Vegetable price hike: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हरी सब्जियां काफी महंगी हो गई हैं. इससे आम जनता के किचन का बजट बिगड़ गया है. महंगाई का आलम यह है कि भिंडी, परवल, बैंगन और टमाटर जैसी रोज इस्तेमाल होने वाली सब्जियां बहुत महंगी बिक रही हैं. वहीं, ब्रोकली का दाम 500 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है. व्यापारियों का कहना है कि पर्व-त्योहार के समय आमतौर पर सब्जियों की खपत बढ़ जाती है, लेकिन इस बार सप्लाई कम होने से दाम और तेजी से बढ़े हैं. टमाटर, जो सितंबर के आखिर हफ्ते में 40-50 रुपये किलो थे, अब 70 रुपये किलो बिक रहा है, जबकि तुरई 40 रुपये से बढ़कर 60 रुपये और कद्दू 30 रुपये से बढ़कर 60 रुपये प्रति किलो हो गया है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि पत्तागोभी और फूलगोभी अभी दूसरे राज्यों से मंगाई जा रही हैं. इनकी कीमत भी ज्यादा है. पत्तागोभी 70 रुपये और फूलगोभी 60 रुपये प्रति किलो है. खास बात यह है कि सबसे ज्यादा झटका हरी मिर्च ने दिया है, जो अब 150 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है, जबकि पहले इसका दाम 100 रुपये था.
इस वजह से बढ़ीं कीमतें
शहर की सब्जी मंडियों में इन दिनों दाम काफी बढ़ गए हैं. गर्मी और मॉनसून की फसलों का सीजन खत्म हो गया है, जबकि सर्दियों की फसल अभी आई नहीं है. इसी बीच सब्जियों की सप्लाई कम हो गई है, लेकिन मांग पहले जैसी बनी हुई है, जिससे कीमतें आसमान छू रही हैं. वेस्ट बंगाल वेंडर्स असोसिएशन के अध्यक्ष कमल डे ने कहा कि ब्रोकली अभी थोड़ी मात्रा में ही बाजार में आ रही है, इसलिए इसका रेट बहुत ज्यादा है. वहीं, काकद्वीप से आने वाला करेला अब लगभग बंद हो गया है.
किसान कर रहे इन फसलों की बुवाई
गड़ियाहाट बाजार के व्यापारी दिलीप कुमार मंडल ने कहा कि इस समय सब्जियों की क्वालिटी स्थिर नहीं है और ताजी सब्जी जल्दी खराब हो रही है. इससे उपलब्धता कम हो जाती है और दाम बढ़ते हैं. अगले कुछ हफ्तों में जब सर्दियों की सब्जियां नियमित आने लगेंगी, तब रेट कम हो सकते हैं. इस बीच बंगाल के किसान अगली फसल की तैयारी में जुट गए हैं और करेला, परवल, तुरई और भिंडी की फिर से बुवाई कर रहे हैं.
नहीं हो रही सब्जियों की सप्लाई
शिमला मिर्च और फली जैसी सब्जियां, जो मुख्य रूप से बेंगलुरु से आती हैं, अभी भी महंगी बनी हुई हैं. हालांकि इनकी सप्लाई ठीक है. विक्रेताओं का कहना है कि नवंबर के मध्य तक जब फूलगोभी, पत्तागोभी, फली और हरी पत्तेदार सब्जियों जैसी सर्दियों की फसलें पूरी तरह बाजार में आ जाएंगी, तब दामों में गिरावट आने लगेगी. फिलहाल सब्जियों की इस ‘ट्रांजिशन गैप’ यानी बदलाव की अवधि ने दुकानदारों और ग्राहकों दोनों को मुश्किल में डाल दिया है.