Haryana News: हरियाणा में इस दिवाली पर पराली जलाने के 13 नए मामले सामने आए, जो इस सीजन का सबसे ज्यादा एक दिन में दर्ज आंकड़ा है. इसके बाद मंगलवार को 4 और मामले दर्ज हुए, जिससे इस सीजन में अब तक कुल 55 घटनाएं हो चुकी हैं. हालांकि, पिछले सालों की तुलना में इस बार पराली जलाने के मामलों में काफी कमी आई है. पिछले साल 21 अक्टूबर तक 655 मामले, 2023 में 689 मामले, और 2022 में 771 मामले सामने आए थे, जबकि इस साल ये संख्या सिर्फ 55 है.
जिलेवार आंकड़ों में जींद सबसे आगे है जहां 15 मामले सामने आए. इसके बाद फतेहाबाद और सिरसा में 5-5, सोनीपत, कैथल और हिसार में 4-4, फरीदाबाद, करनाल, पलवल और यमुनानगर में 3-3, भिवानी और पानीपत में 2-2, और झज्जर व कुरुक्षेत्र में 1-1 मामला दर्ज किया गया. अधिकारियों का कहना है कि पराली जलाने में गिरावट की वजह किसानों में बढ़ती जागरूकता, पराली प्रबंधन मशीनों पर सब्सिडी योजना और हर एकड़ पर 1200 रुपये की प्रोत्साहन राशि है. किसान अब पराली को जलाने की बजाय इन-सीटू और एक्स-सीटू तकनीकों से प्रबंधन कर रहे हैं, जिससे उन्हें फायदा भी हो रहा है.
पराली जलाने के मामलों में आई गिरावट
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य भर में पराली जलाने की घटनाएं रोकने के लिए गांव, ब्लॉक, उप-मंडल और जिला स्तर पर बनी समितियां सक्रिय रूप से काम कर रही हैं. इन समितियों में विभिन्न विभागों के कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं. कृषि उपनिदेशक (डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर), करनाल डॉ. वजीर सिंह ने कहा कि किसान अब पराली प्रबंधन से मुनाफा कमा रहे हैं और दूसरों के लिए मिसाल बन रहे हैं. सिर्फ कृषि विभाग ही नहीं, बल्कि दूसरे विभागों के कर्मचारी भी जमीन पर काम कर रहे हैं और पराली जलाने के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक कर रहे हैं. इसी का नतीजा है कि इस बार पराली जलाने के मामलों में गिरावट आई है.
पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन
इसी बीच, असंध उप-मंडल के रहड़ा गांव में पराली जलाने का एक मामला सामने आया, जिसमें एक किसान पर कार्रवाई की गई है. HARSAC सैटेलाइट मॉनिटरिंग सिस्टम से मिली लोकेशन अलर्ट के बाद संयुक्त विभागीय टीम मौके पर पहुंची. जांच में किसान ऋषिपाल को 1.5 एकड़ में पराली जलाने का दोषी पाया गया. उस पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया और FIR भी दर्ज की गई है. इसके अलावा, किसान के खेत को ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर रेड एंट्री कर दिया गया है, जिससे अब वह दो सीजन तक एमएसपी पर अपनी फसल नहीं बेच पाएगा.
बंद हो सकता है सरकारी योजनाओं का लाभ
डॉ. वजीर सिंह ने कहा कि इस सीजन में करनाल जिले में यह पहला पक्का पराली जलाने का मामला सामने आया है. घटना को रोकने में लापरवाही बरतने पर फील्ड स्टाफ जैसे जेई, गांव सचिव, पटवारी, वीएलडीए और कृषि पर्यवेक्षक को कारण बताओ नोटिस (शो-कॉज) जारी किया गया है. उनके जवाब के आधार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. डॉ. सिंह ने किसानों से अपील की कि फसल अवशेष (पराली) न जलाएं, क्योंकि इससे मिट्टी, पर्यावरण और खुद किसानों को नुकसान होता है. साथ ही, पराली जलाने पर सरकारी योजनाओं का लाभ भी बंद हो सकता है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, ताकि किसान पराली के पर्यावरण के अनुकूल प्रबंधन के तरीके अपनाएं और जलाने से बचें.