Odisha Agriculture News: केंद्र सरकार ने ओडिशा में चावल खरीद को लेकर बहुत बड़ा फैसला लिया है. उसने ने खरीफ विपणन मौसम 2024-25 के लिए राज्य का चावल खरीद लक्ष्य 50 लाख टन से बढ़ाकर 58 लाख टन कर दिया है. हालांकि उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का कहना है कि अब खरीफ फसल के लिए चावल की खरीद का अनुमान 40 लाख टन से बढ़ाकर 47 लाख टन और रबी फसल के लिए 10 लाख टन से बढ़ाकर 11 लाख टन कर दिया गया है. सरकार को उम्मीद है कि उसके इस फैसले से ओडिशा की किसानों को सीधा फायदा होगा.
इसके साथ ही मंत्रालय ने राज्य सरकार को मार्च 2026 तक अपने आंतरिक जरूरतों (खाद्य सुरक्षा और पोषण योजनाओं) को पूरा करने के लिए केंद्रीय भंडार से एडवांस में चावल उठाने की भी अनुमति दे दी है. यह एडवांस उठान नवंबर तक पूरा करना होगा. राज्य सरकार के पास पहले से ही 12 लाख टन चावल का अतिरिक्त भंडार है और वह लंबे समय से केंद्र से अनुरोध कर रही थी कि खाद्य निगम (FCI) द्वारा तय कोटा बढ़ाया जाए, ताकि 1 नवंबर से शुरू होने वाले अगले खरीफ सीजन के लिए धान की खरीद के लिए जगह बनाई जा सके.
92.64 लाख टन धान की खरीदी
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले खरीफ विपणन मौसम (KMS) में राज्य सरकार ने रिकॉर्ड 92.64 लाख टन धान की खरीद की, जो कि 63 लाख टन चावल के बराबर है. जबकि FCI का लक्ष्य सिर्फ 50 लाख टन चावल उठाने का था. राज्य सरकार ने बार-बार केंद्र से अतिरिक्त चावल उठाने की मांग की, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला. इसके चलते सरकार अब न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदे गए अतिरिक्त चावल को टेंडर के जरिए बेचने पर विचार कर रही थी.
उपमुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से की मुलाकात
मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने इस मुद्दे पर दिल्ली में केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी से दो बार मुलाकात की और कई बार पत्र भी लिखे. हाल ही में उपमुख्यमंत्री केवी सिंह देव ने भी दिल्ली में जोशी से मुलाकात की और मुख्यमंत्री का पत्र सौंपा. उन्होंने मांग की कि राज्य में असली धान उत्पादन के अनुसार कस्टम मिल्ड राइस (CMR) का लक्ष्य बढ़ाया जाए, ताकि चावल उठाव का आंकड़ा हकीकत से मेल खा सके.
परिवहन को लेकर हैं गंभीर समस्याएं
केवी सिंह देव ने यह भी कहा कि अगर यह अंतर बना रहा तो राज्य में भंडारण और परिवहन की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. इसके अलावा उन्होंने CMR की डिलीवरी की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर तक करने और FCI को राज्य से चावल की निकासी तेज करने के निर्देश देने की मांग भी की.