इस वजह से हर साल खराब हो जाता है 80 से 90 लाख टन प्याज, किसानों को होता है नुकसान

महाराष्ट्र के कृषि मूल्य आयोग अध्यक्ष पाशा पटेल के अनुसार, हर साल 80 से 90 लाख टन प्याज भंडारण और परिवहन के दौरान खराब हो जाता है. यह किसानों और व्यापारियों दोनों को भारी नुकसान पहुंचा रहा है.

नोएडा | Updated On: 11 Aug, 2025 | 03:18 PM

महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है. यहां से प्याज की सप्लाई देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी होती है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि प्याज के भंडारण से लेकर परिवहन तक में लाखों टन प्याज खराब हो जाता है. ये कहना है कि महाराष्ट्र राज्य कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष और प्याज नीति समिति के प्रमुख पाशा पटेल का. उनके अनुसार, इससे किसानों के साथ-साथ व्यापारियों को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. अगर इस समस्या का समाधान निकाल लिया जाए, तो किसानों को नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा.

डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, पाशा पटेल का कहना कि देश में हर साल करीब 80 से 90 लाख टन प्याज भंडारण और परिवहन के दौरान खराब हो जाता है, जो एक गंभीर समस्या है. पटेल के मुताबिक, देश को हर साल लगभग 160 से 190 लाख टन प्याज की जरूरत होती है, लेकिन कुल उत्पादन 270 से 300 लाख टन होता है. इसमें से 40 से 45 फीसदी हिस्सा महाराष्ट्र का होता है. उन्होंने कहा कि अगर भंडारण की सुविधा बेहतर हो जाए तो प्याज को न सिर्फ घरेलू जरूरतों के लिए संभाला जा सकता है, बल्कि बड़े पैमाने पर निर्यात भी किया जा सकता है. उन्होंने मिशन मोड में नए भंडारण केंद्र बनाने की मांग की.

20 फीसदी प्याज हो जाता है बर्बाद

पटेल ने कहा कि कुल उत्पादन में से करीब 65 फीसदी प्याज घरेलू खपत में जाता है, लेकिन इसमें से भी लगभग 20 फीसदी प्याज बर्बाद हो जाता है. यह नुकसान वजन घटने, सड़ने और अंकुरित होने के कारण होता है. उनके मुताबिक, वर्तमान में लगभग 8 फीसदी प्याज (20 से 25 लाख टन) का निर्यात होता है और 1 फीसदी (3 से 4 लाख टन) बीज उत्पादन में उपयोग होता है. देश हर महीने बाजार में 14 से 15 लाख टन प्याज की आपूर्ति करता है. लेकिन, भंडारण सुविधाएं बेहतर न होने से किसानों को नुकसान हो रहा है.

लहसुन अनुसंधान केंद्र की समीक्षा

दरअसल, पाशा पटेल विशेषज्ञों की एक बड़ी टीम के साथ पुणे जिले के राजगुरुनगर स्थित राष्ट्रीय प्याज और लहसुन अनुसंधान केंद्र पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने वहां की व्यवस्थाओं की समीक्षा की. बैठक में प्याज भंडारण के चारों तरीकों- रेडिएशन, कोल्ड स्टोरेज, पारंपरिक प्याज चाल और कंट्रोल्ड प्याज स्टोरेज स्ट्रक्चर पर विस्तार से चर्चा हुई. सभी समिति सदस्यों ने नियंत्रित प्याज भंडारण केंद्र का भी दौरा किया, जिसे डायरेक्टरेट ऑफ ऑनियन एंड गार्लिक रिसर्च और काला बायोटेक ने मिलकर तैयार किया है.

प्याज बर्बादी में आई गिरावट

इस नई तकनीक में प्याज को 25 से 30 डिग्री तापमान और 60 से 65 फीसदी नमी के नियंत्रित माहौल में रखा जाता है, जिसमें लगातार एयर सर्कुलेशन बना रहता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे प्याज में अंकुरण, सड़न और वजन घटने की दर काफी कम हो जाती है. एक 120 दिन के स्टोरेज ट्रायल में पाया गया कि जहां पारंपरिक प्याज स्टोरेज में 40 से 60 फीसदी तक नुकसान होता था, वहीं इस नई तकनीक ने इसे घटाकर सिर्फ 15 फीसदी कर दिया गया है.

 

Published: 11 Aug, 2025 | 03:13 PM