नैनो यूरिया के प्रयोग से गेहूं की फसल में गिरावट, प्रोटीन भी हुआ कम! स्‍टडी में खुलासा 

रिसर्चर्स ने पाया कि नैनो यूरिया के इस्तेमाल से गेहूं की पैदावार में 21.6 प्रतिशत और चावल की पैदावार में 13 प्रतिशत की कमी आई है. नैनो लिक्विड यूरिया को जून 2021 में इफकोकी तरफ से लॉन्च किया गया था. 

Kisan India
Noida | Published: 14 Mar, 2025 | 07:30 PM

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की तरफ से नैनो यूरिया के प्रभाव पर दो साल तक एक रिसर्च की गई. इस रिसर्च में हैरान करने वाले नतीजे आए हैं. इस रिसर्च में पाया गया कि पारंपरिक नाइट्रोजन (एन) उर्वरक के इस्तेमाल की तुलना में नैनो यूरिया के प्रयोग से चावल और गेहूं की पैदावार में काफी कमी आई है. साथ ही अनाज में नाइट्रोजन की मात्रा में भी गिरावट देखी गई, जो प्रोटीन उत्पादन के लिए जरूरी है. 

क्‍या कहती है रिपोर्ट

मैगजीन डाउन टू अर्थ रिपोर्ट के अनुसार रिसर्चर्स ने पाया कि नैनो यूरिया के इस्तेमाल से गेहूं की पैदावार में 21.6 प्रतिशत और चावल की पैदावार में 13 प्रतिशत की कमी आई है. यह रिसर्च यूनिवर्सिटी के सीनियर सॉइल साइंटिस्‍ट राजीव सिक्का और नैनोसाइंस की सहायक प्रोफेसर अनु कालिया की तरफ से साल 2020-21 और 2021-22 में किया गया था. नैनो लिक्विड यूरिया को जून 2021 में भारतीय किसान और उर्वरक सहकारी (इफको) की तरफ से लॉन्च किया गया था. 

केंद्र सरकार ने खूब दिया बढ़ावा 

इफको ने दावा किया था कि  नैनो यूरिया की 500 मिलीलीटर की स्प्रे बोतल पारंपरिक उर्वरक के पूरे 45 किलोग्राम बैग की जगह ले सकती है. केंद्र सरकार ने भी इसके विकास के बाद से उर्वरक को खूब बढ़ावा दिया है. इफको के अनुसार यूरिया सबसे ज्‍यादा कन्‍सनट्रेटेड नाइट्रोजन लैस उर्वरकों में से एक है, जो मिट्टी में आसानी से अमोनिया में परिवर्तित हो जाता है, यह पौधों के काम के लिए एक जरूरी मैक्रोन्यूट्रिएंट है. इफको के अनुसार नैनो यूरिया में नाइट्रोजन ‘दानों के रूप में होता है जो कागज की एक शीट से सौ-हजार गुना महीन होता है.’ 

कब होता है प्रयोग 

यह उर्वरक पत्तियों पर छिड़कने वाला तत्‍व है यानी इसका प्रयोग केवल तभी किया जाना चाहिए जब फसल पर पत्तियां आ जाएं. यूनिवर्सिटी के सॉइल साइंस डिपार्टमेंट, लुधियाना के रिसर्च फार्मों पर लगातार दो साल तक यह प्रयोग किया गया था. वैज्ञानिकों ने मिट्टी में 50 प्रतिशत नाइट्रोजन के प्रयोग के साथ-साथ इफको द्वारा अनुशंसित प्रोटोकॉल के अनुसार नैनो यूरिया के दो छिड़काव सहित फ्यॉलर स्‍प्रे  उपचार किया.

अनाज में आई कितनी कमी  

उपज में कमी के साथ-साथ, नैनो यूरिया और नाइट्रोजन के संयुक्त प्रयोग से चावल और गेहूं के अनाज में नाइट्रोजन की मात्रा में क्रमशः 17 और 11.5 प्रतिशत की कमी आई.  अनाज में नाइट्रोजन की मात्रा में कमी प्रोटीन की मात्रा में कमी को दर्शाती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह भारत के लिए चिंताजनक है, जहां ये दोनों अनाज प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के लिए मुख्य खाद्य स्रोत हैं और कम प्रोटीन की मात्रा आबादी की प्रोटीन ऊर्जा आवश्यकताओं को कम कर देगी. 

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 14 Mar, 2025 | 07:30 PM

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%