गुजरात के दक्षिणी और सौराष्ट्र के कई इलाकों में आंधी-तूफान के चलते बागवानी फसलों को बहुत अधिक नुकसान हुआ है. तेज हवा बहने के चलते अल्फांसो और केसर किस्म के आम 35 फीसदी तक पेड़ से गिर गए. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है और उन्होंने सरकार से मुआवजे की मांग की है. हालांकि गुजरात बागवानी विभाग, कृषि विभाग और ग्राम सेवकों की टीमों ने बुधवार से प्रभावित क्षेत्रों में सर्वे शुरू कर दिया है. इसमें वलसाड, नवसारी, सूरत और भरूच जिले शामिल हैं. यह सर्वे लगभग पांच दिनों तक चलेगा.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों का कहना है कि इस आंधी-बारिश ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है और उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. राज्य सरकार से राहत की उम्मीद जताई जा रही है. दक्षिण गुजरात में आम की खेती मुख्य रूप से वलसाड, नवसारी, सूरत और भरूच के कुछ हिस्सों में होती है. वहीं सौराष्ट्र में जूनागढ़, गिर सोमनाथ, भावनगर, राजकोट, पोरबंदर और अमरेली जिलों में आम उगाए जाते हैं. कच्छ की ‘केसर’ किस्म सबसे आखिर में तोड़ी जाती है.
किसानों ने शुरू की आम की तुड़ाई
राज्य बागवानी विभाग के अनुसार, दक्षिण गुजरात में करीब एक लाख हेक्टेयर में आम की खेती होती है, जबकि सौराष्ट्र में यह क्षेत्र लगभग 42,000 हेक्टेयर है. पिछले साल दक्षिण गुजरात में प्रति हेक्टेयर औसतन 4 से 4.25 टन आम की पैदावार हुई थी, जबकि सौराष्ट्र में पैदावार थोड़ी ज्यादा रही. वहीं, सौराष्ट्र के किसानों ने फसल को और नुकसान से बचाने के लिए पहले ही आम तोड़ना शुरू कर दिया है.
दक्षिण गुजरात में कितना है आम का रकबा
सूरत रेंज के उद्यान विभाग के संयुक्त निदेशक दिनेश पलाडिया ने कहा कि दक्षिण गुजरात के वलसाड में 36,000 हेक्टेयर, नवसारी में 33,000 हेक्टेयर, सूरत में 15,000 हेक्टेयर और बाकी भरूच जिले में आम की खेती होती है. यहां की मुख्य किस्म ‘केसर’ है, जो करीब 60 फीसदी क्षेत्र में उगाई जाती है. ‘अल्फांसो’ किस्म लगभग 30 फीसदी हिस्से में होती है और अन्य किस्मों में दशहरी, लंगड़ा, राजापुरी और तोतापुरी शामिल हैं. वलसाड में खासतौर पर अल्फांसो आम की खेती होती है. दक्षिण गुजरात में 70,000 से ज्यादा किसान आम की खेती से जुड़े हुए हैं और यहां से अल्फांसो समेत कई किस्मों के आम पश्चिमी देशों में निर्यात भी किए जाते हैं. लेकिन बीते दिनों बारिश के साथ आई तेज आंधी से फसलों को बहुतन नुकसान पहुंचा है.