Organic Farming: बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड सहित पूरे देश में किसान अब शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं. इससे किसानों की अच्छी कमाई हो रही है, क्योंकि मार्केट में शिमला मिर्च की मांग हमेशा रहती है. लेकिन अब मार्केट में जैविक तरीके से उगाई गई सब्जियों की डिमांड बढ़ रही है. ऐसे में रासायनिक खादों और कीटनाशकों की मदद से खेती करने वाले किसानों के सामने परेशानी बढ़ गई है. लेकिन अब किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम खेती की ऐसी तकनीक के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसमें रासायनिक खाद और कीटनाशकों की जरूरत नहीं पड़ती है. यानी किसान देसी तरीके से शमिला मिर्च उगा सकते हैं.
एक्सपर्ट के मुताबिक, शिमला मिर्च की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत की अच्छी तैयारी होनी चाहिए. इसके लिए खेत की 2-3 बार जुताई करें और उसमें गोबर की खाद या कंपोस्ट अच्छी तरह मिला दें. इसके बाद पाटा चलाकर खेत को समतल कर लें. साथ ही खेत पानी की निकासी वाली होनी चाहिए, ताकि जलभराव न हो. ऐसे नर्सरी लगाने के लिए शिमला मिर्च के बीज बोने का सबसे सही समय अक्टूबर का महीना है. अगर किसान ग्रीनहाउस या पॉलीहाउस में खेती करें, तो सालभर फसल ली जा सकती है.
45 से 60 सेंटीमीटर की दूरी पर करें पौधों की रोपाई
शिमला मिर्च की रोपाई करते समय पौधों के बीच 45 से 60 सेंटीमीटर की दूरी जरूर रखें, ताकि उन्हें ठीक से फैलने और बढ़ने की जगह मिले. सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम सबसे अच्छा विकल्प है, क्योंकि इससे पानी की बचत होती है और पौधों की जड़ें मजबूत बनती हैं. खेत में मल्चिंग (प्लास्टिक शीट या जैविक आवरण) लगाना भी फायदेमंद होता है, इससे न सिर्फ पानी की बचत होती है बल्कि खरपतवार भी कंट्रोल में रहते हैं, जिससे पैदावार अच्छी मिलती है.
एक एकड़ में होगी 100 क्विंटल तक की पैदावार
शिमला मिर्च के पौधों को हेल्दी बनाए रखने के लिए नियमित खाद और पानी देना जरूरी है. हर 15-20 दिन में जैविक खाद या गोबर की खाद डालें. कीट और बीमारियों से बचाने के लिए नीम का तेल या जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल करें. रासायनिक दवाएं कम से कम ही इस्तेमाल करें, ताकि फसल प्राकृतिक और सुरक्षित बनी रहे. अगर देखभाल सही हो तो एक एकड़ में 80 से 100 क्विंटल तक शिमला मिर्च की उपज मिल सकती है. बाजार में इसका भाव मौसम और गुणवत्ता पर निर्भर करता है, लेकिन अच्छी क्वालिटी की मिर्च हमेशा अच्छे दाम पर बिकती है. अच्छी बात यह है कि शुरुआती मेहनत के बाद यह फसल कई महीनों तक लगातार उपज देती है, जिससे किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं और लखपति बन सकते हैं.