Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के सेब किसानों के लिए राहत की खबर है. पिछले तीन सालों में शिमला की राज्य कीटनाशक परीक्षण प्रयोगशाला में 1,058 कीटनाशक और फफूंदनाशी नमूनों की जांच की गई और एक भी नमूना खराब या नकली नहीं पाया गया. उद्यान मंत्री जगट सिंह नेगी द्वारा विधानसभा में दी गई यह जानकारी सेब किसानों के लिए हैरान करने वाली है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से बगीचों में फफूंद रोग बढ़ने के बाद किसान बाजार में बिक रहे कीटनाशकों पर शक जता रहे थे.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, सेब उत्पादक हर्ष चौहान ने कहा कि पिछले कई सालों से हम फफूंद रोगों पर काबू नहीं पा रहे हैं. पत्तियों का समय से पहले झड़ना आम हो गया है, इसलिए कीटनाशकों की प्रभावशीलता पर सवाल उठना स्वाभाविक है. उन्होंने यह भी पूछा कि जब 1980 के दशक में वैज्ञानिकों और किसानों ने स्कैब जैसी गंभीर बीमारी पर नियंत्रण पा लिया था, तो आज विज्ञान और तकनीक के इतने आगे बढ़ जाने के बावजूद इन रोगों को काबू करना इतना मुश्किल क्यों हो रहा है?
अधिकतर दुकानदार बिल नहीं देते
सेब उत्पादन के शुरुआती विशेषज्ञों में से एक हरी चंद रोअच का कहना है कि नकली या घटिया कीटनाशकों की संभावना को नकारा नहीं जा सकता. उनके अनुसार, फफूंदनाशी और कीटनाशक उसी तरह बेचे जाने चाहिए जैसे जान बचाने वाली दवाएं, यानी केवल विशेषज्ञ की सलाह पर. उन्होंने कहा कि हर विक्रेता के पास मान्य लाइसेंस होना चाहिए और किसानों को सही बिल दिया जाना चाहिए, लेकिन अभी अधिकतर दुकानदार बिल नहीं देते और किसान भी मांगते नहीं.
विभाग कोजागरूकता बढ़ानी चाहिए
रोअच ने कहा कि अधिकांश किसानों को कीटनाशकों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती, इसलिए विभाग को इस विषय पर जागरूकता बढ़ानी चाहिए. उद्यान तथा वानिकी विश्वविद्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, सेब बागानों में बढ़ती बीमारियों के कई कारण हैं. जैसे रसायनों का बिना सोचे-समझे मिश्रण, बार-बार स्प्रे करना, असंतुलित खाद का उपयोग और मौसम की वे स्थितियां जो रोग फैलने में मदद करती हैं.
बिना सही बिल के फफूंदनाशी नहीं खरीदें
उद्यान विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि किसानों को कभी भी बिना सही बिल के फफूंदनाशी या कीटनाशक नहीं खरीदने चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर उत्पाद नकली निकलता है, तो बिल होने पर ही विभाग कार्रवाई कर सकता है. अधिकारी ने यह भी जोर देकर कहा कि किसानों को विश्वविद्यालय और विभाग द्वारा जारी की गई सिफारिशों का पूरी तरह पालन करना चाहिए, ताकि उन्हें बेहतर परिणाम मिल सकें.