Tamil Nadu News: तमिलनाडु में पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश की वजह से फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. खास कर नागपट्टिनम, कुड्डालोर और तंजावुर जिलों में हजारों हेक्टेयर धान की फसलें पानी में डूब गई हैं. इससे कटाई के लिए तैयार कुरुवई फसल और हाल ही में रोपी गई सांबा फसल दोनों को नुकसान हुआ है. ऐसे में किसानों का आर्थिक नुकसान का भय सता रहा है. किसानों ने सरकार से नुआवजे की मांग की है. हालांकि, सरकार की तरफ से किसानों को फसल नुकसान का सर्वे करने का आश्वसन मिला है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नागपट्टिनम में कृषि विभाग के अनुसार करीब 2,400 हेक्टेयर में तैयार कुरुवई और 2,500 हेक्टेयर में सांबा फसल पानी में डूबी हुई है. एक अधिकारी ने कहा कि इनमें से 30 फीसदी से 40 फीसदी फसलें गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती हैं. जिले में कुल 30,217 हेक्टेयर में कुरुवई की खेती हुई थी, जिसमें से 14,780 हेक्टेयर की कटाई हो चुकी है. बाकी की फसल, जो ज्यादातर निचले इलाकों में है, अब जलभराव की चपेट में है. प्रशासन ने बुधवार से फसल नुकसान का सर्वे शुरू करने की बात कही है.
धान की बोरियां भी बारिश से खराब हो गईं
कड्डालोर जिले में, खासकर चिदंबरम क्षेत्र के आस-पास की 1,000 एकड़ धान की खेती बारिश के कारण जलमग्न हो गई है. सी. साथमंगलम, शक्ति विलगम, वेलियाकुड़ी, भरतूर और पोननकोइल गांवों में रोपी गई फसलें अब पानी में सड़ने लगी हैं. तंजावुर जिले में सोमवार रात हुई भारी बारिश के कारण कई निचले इलाकों में पानी भर गया. वेलांगुडी (बुदालुर के पास), नल्लवन्नियानकुडीकाडु और आलकुडी जैसे गांवों में खेतों में पानी भरने से कटाई के लिए तैयार फसलें प्रभावित हुई हैं. अय्यंपेट्टई में 24 घंटे में सबसे ज्यादा 80 मिमी बारिश दर्ज की गई. कई डायरेक्ट प्रोक्योरमेंट सेंटर्स (DPCs) में तिरपाल से ढकी धान की बोरियां भी बारिश से खराब हो गईं.
लगभग 72,000 हेक्टेयर में धान की कटाई पूरी
अधिकारियों के अनुसार, तंजावुर में कुल 79,000 हेक्टेयर में कुरुवई फसल की खेती हुई थी, जिसमें से लगभग 72,000 हेक्टेयर की कटाई पूरी हो चुकी है. बाकी में से करीब 580 हेक्टेयर क्षेत्र जलभराव से प्रभावित हुआ है. वहीं, अब तक रोपी गई 45,000 हेक्टेयर सांबा फसल में से लगभग 100 हेक्टेयर पानी में डूब गया है. तंजावुर की कलेक्टर बी. प्रियंका पंकजम ने मंगलवार को आलकुडी गांव में प्रभावित खेतों का निरीक्षण कर नुकसान का आकलन किया. ऐसे में किसानों को उम्मीद है कि फसल नुकसान के सर्वे के बाद सरकार मुआवजा राशि जारी कर सकती है. अगर ऐसा होता है तो किसानों को काफी राहत मिलेगी.