देश में कपास किसानों के लिए एक बड़ी खबर आई है. कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) ने 1 सितंबर से कपास किसान ऐप (Kapas Kisan App) लॉन्च करने का ऐलान किया है. इस ऐप के जरिए किसान अपनी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर आसानी से बेच सकेंगे. सरकार का दावा है कि इस कदम से खरीद प्रक्रिया तेज, पारदर्शी और किसानों के अनुकूल होगी. लेकिन दूसरी ओर, विदर्भ और दूसरे कपास उगाने वाले इलाकों के किसानों में इस नए डिजिटल सिस्टम को लेकर चिंता भी गहराने लगी है.
ऐप से जुड़े नए नियम
अब किसान सीधे खरीद केंद्रों पर जाकर लाइन लगाने के बजाय इस ऐप के जरिए अपनी फसल बेचने के लिए स्लॉट बुक करेंगे. उन्हें पहले अपनी व्यक्तिगत जानकारी और फसल का ब्योरा दर्ज करना होगा और फिर तय समय पर केंद्र पर पहुंचकर बिक्री करनी होगी. CCI का कहना है कि इससे किसानों को घंटों इंतजार नहीं करना पड़ेगा और पंजीकरण घर बैठे संभव होगा.
किसानों की मुश्किलें
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में रहने वाले किसानों के लिए यह बदलाव इतना आसान नहीं है. बहुत से किसान अब भी स्मार्टफोन और इंटरनेट के इस्तेमाल में सहज नहीं हैं. जिनके पास स्मार्टफोन है, वे भी कमजोर नेटवर्क और ऐप चलाने की तकनीकी दिक्कतों से जूझते हैं. यवतमाल जिले के किसान नितिन खडसे ने याद किया कि राज्य सरकार के ई-पीक पाहणी ऐप में किसानों को कितनी दिक्कतें आई थीं. उन्होंने आशंका जताई कि कपास किसान ऐप के साथ भी वैसी ही समस्या हो सकती है.
बाजार भाव और MSP की चुनौती
इस बार कपास का MSP 8,110 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है. लेकिन हाल ही में आयात शुल्क हटाने से कपास के बाजार भाव में गिरावट आई है. अभी खुले बाजार में कीमतें 6,500 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच हैं. ऐसे में निजी व्यापारी किसानों से MSP पर कपास खरीदने से बच सकते हैं. किसान कार्यकर्ता का कहना है कि ऐसी स्थिति में किसान लगभग पूरी तरह CCI पर निर्भर हो जाएंगे. इसलिए खरीद प्रणाली को आसान बनाना चाहिए, न कि और पेचीदा.
ऐप की खासियतें
सरकार का कहना है कि इस ऐप के जरिए किसानों को कई फायदे मिलेंगे:
- किसान अपनी उपज का पंजीकरण सुरक्षित तरीके से कर सकेंगे.
- स्लॉट बुकिंग से खरीद केंद्रों पर लंबी लाइनों से बचा जा सकेगा.
- कपास की गुणवत्ता, स्वीकृत मात्रा और भुगतान की जानकारी रियल टाइम में मिलेगी.
- किसान आसानी से अपने भुगतान की स्थिति ट्रैक कर सकेंगे.
- ऐप कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है और इसे उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाया गया है.
किसानों की उम्मीदें और आशंकाएं
किसानों का मानना है कि अगर सिस्टम ठीक से चला तो यह पारदर्शिता और सुविधा दोनों देगा. लेकिन डर यह है कि तकनीकी दिक्कतों और नेटवर्क की समस्या से बड़ी संख्या में किसान इस प्रक्रिया से बाहर न रह जाएं.