
देशभर के हजारों किसानों का अनुभव यही कहता है कि एक बार साहीवाल नस्ल को अपनाया, तो फिर पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ती. यह गाय ना केवल तापमान के उतार-चढ़ाव को आसानी से झेलती है, बल्कि बीमार भी बहुत कम होती है.

ग्रामीण इलाकों में पशुपालकों के लिए साहीवाल गाय इसलिए खास है क्योंकि बहुत कम देखभाल में भी यह रोज 10–15 लीटर तक दूध दे देती है. कम खर्च, ज्यादा उत्पादन—इसी वजह से यह छोटे किसानों की पहली पसंद बन रही है.

साहीवाल के दूध में फैट और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, इसलिए इसका दूध साधारण से ज्यादा दाम पर बिक जाता है (50–60 रुपये या उससे भी ऊपर). इससे एक गाय भी किसान को रोज की अच्छी आमदनी दे सकती है.

इस नस्ल का शरीर मजबूत होता है और यह तेज गर्मी व बदलते मौसम को आसानी से सह लेती है. इसलिए भारत की किसी भी जलवायु में बिना दिक्कत के बढ़ती और टिकती है—कम बीमार पड़ती है और ज्यादा उत्पादन देती है.

अन्य नस्लों की तुलना में साहीवाल गाय जल्दी बीमार नहीं पड़ती. इसकी नेचुरल इम्यूनिटी मजबूत होने के कारण इलाज और दवाओं पर बहुत कम खर्च आता है. साथ ही इसका दूध और घी आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर माना जाता है.

साहीवाल गाय देसी नस्ल होने के कारण A2 प्रोटीन वाला दूध देती है, जिसकी डिमांड शहरों में तेज़ी से बढ़ रही है. यही वजह है कि लोग इसे पैकेट वाले A1 दूध की तुलना में ज्यादा पसंद करते हैं.