गुजरात में गजब की महंगाई,160 रुपये भिंडी तो 120 रुपये किलो बिक रही लौकी.. जानें इनके रेट

अहमदाबाद में सब्जियों के दाम तेजी से बढ़े हैं, जिससे आम परिवारों का बजट बिगड़ गया है. टिंडोरा 216 रुपये, भिंडी 160 रुपये और लौकी 120 रुपये किलो बिक रही है. बारिश से सप्लाई बाधित हुई है.

नोएडा | Updated On: 5 Jul, 2025 | 05:40 PM

Vegetable price hike: गुजरात में हरी सब्जियों की कीमत में आग लग गई है. खास कर अहमदाबाद में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं, जिससे आम परिवार के लिए रोज का खाना बनाना महंगा होता जा रहा है. भिंडी, ग्वार, टिंडोरा जैसी आम सब्जियां अब इतनी महंगी हो गई हैं लोगों के किचन का बजट बिगड़ गया है. फिलहाल टिंडोरा की कीमत सबसे अधिक 216 रुपये किलो है. उसके बाद ग्वार 188 रुपये किलो, सहजन 168 रुपये किलो और भिंडी 160 रुपये किलो बिक रही है.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, टमाटर 104 रुपये किलो हो गया है, जबकि शिमला मिर्च (capsicum price) 154 रुपये किलो बिक रही है. यहां तक कि आमतौर पर सस्ती मिलने वाली लौकी भी अब 120 रुपये किलो पहुंच गई है. कहा जा रहा है कि बारिश के चलते सब्जियों की सप्लाई चेन प्रभावित हुई है और अहमदाबाद की कृषि उपज मंडी समिति में सब्जियों की आवक करीब 25 फीसदी तक घट गई है, जिससे ये भारी महंगाई देखने को मिल रही है.

थोक दामों में करीब 25 फीसदी बढ़ोतरी

एक सीनियर APMC अधिकारी ने कहा कि सब्जियों की कमी के कारण जून की तुलना में थोक दामों में करीब 25 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. वहीं, कुछ दुकानदार कम सप्लाई का फायदा उठाकर दामों में जरूरत से ज्यादा मुनाफा जोड़ रहे हैं. एक व्यापारी ने कहा कि अच्छी क्वालिटी के टमाटर थोक बाजार में 35 रुपये किलो मिल रहे थे, लेकिन ऐप पर 66 से 75 रुपये किलो और रिटेल दुकानों पर 100 रुपये किलो तक बेचे जा रहे हैं.

30 फीसदी माल हो जाता है खराब

यानी खुदरा दाम थोक कीमत से दोगुने से भी ज्यादा हैं. हालात को और बिगाड़ने में ट्रांसपोर्ट की दिक्कतें भी जिम्मेदार हैं. एक और व्यापारी ने कहा कि बारिश के मौसम में खराब सड़कों और ट्रैफिक जाम की वजह से करीब 30 फीसदी माल खराब हो जाता है, जिससे दाम और बढ़ जाते हैं.

300 रुपये किलो बिक रही धनिया

एक्सपर्ट्स का कहना है कि लहसुन 240 रुपये किलो और धनिया 300 रुपये किलो है. लेकिन असली बोझ उन सब्जियों की महंगाई से पड़ रहा है जो रोज के खाने का हिस्सा होती हैं. मकरबा की निवासी मृणालिनी बरुआ कहती है कि सजावट के लिए धनिया न भी हो तो चल जाता है, लेकिन बेसिक सब्जियां तो जरूरी हैं. आखिर कब तक सिर्फ आलू-टमाटर पर गुजारा किया जा सकता है, हरी सब्जियां भी जरूरी हैं. चूंकि दाम जल्द कम होने के आसार नहीं हैं जब तक लोकल मॉनसून की फसलें बाजार में न आ जाएं, इसलिए कई परिवार नई रणनीति अपना रहे हैं.

Published: 5 Jul, 2025 | 05:35 PM