सूखा पड़ा फिर भी फसल लहराई, किसान बाबूलाल दहिया के देसी बीजों का चमत्कार

मध्य प्रदेश के किसान बाबूलाल दाहिया ने सूखे के बीच भी देसी बीजों से खेतों में हरी-भरी फसल लहराई. 2019 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित ये किसान देसी बीजों के प्रचार-प्रसार में जुटे हैं.

धीरज पांडेय
भोपाल | Published: 23 May, 2025 | 08:00 AM

मध्य प्रदेश के किसान बाबूलाल दहिया ने सूखे जैसी कठोर परिस्थितियों में भी अपनी देसी बीजों की ताकत से खेती को सफलता की नई मिसाल दी है. जब 2011-12 में क्षेत्र में बारिश बेहद कम हुई, तब किसान बाबूलाल की देसी धान की किस्मों ने भरपूर पैदावार दी, जबकि आमतौर पर बोई गई संकर किस्में बर्बाद हो गईं. देसी बीजों के संरक्षण और प्रचार के लिए उनके प्रयासों को 2019 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया. आइए जानते हैं, कैसे किसान बाबूलाल दाहिया ने देशी बीजों के जरिए खेती में नई उम्मीद जगाई.

200 से अधिक धान की किस्मों का संरक्षण

बाबूलाल दाहिया मध्य प्रदेश के एक ऐसे किसान हैं जिन्होंने लगभग 200 पारंपरिक धान की किस्मों और 20 प्रकार के गेहूं, दालें और तिलहनों को संरक्षित कर देशी बीजों को बचाने में अहम भूमिका निभाई है. 2019 में उन्हें इस कार्य के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया. किसान बाबूलाल की पहल ‘बीज बचाओ यात्रा’ के जरिए देश के 40 जिलों में देशी बीजों के महत्व को फैलाया गया है.

देसी बीजों के प्रचार के लिए मुफ्त बीज वितरण

2011-12 के सूखे के दौरान किसान बाबूलाल की देसी किस्में बिना ज्यादा पानी या रासायनिक उर्वरक के भी बेहतर प्रदर्शन कर पाईं. उन्होंने साबित किया कि पारंपरिक बीज कम संसाधन में भी फसल को जीवित और फलदायक रख सकते हैं. बाबूलाल अपने दो एकड़ खेत में देसी बीजों की क्यारियां बनाकर किसानों को मुफ्त बीज वितरित करते हैं ताकि देशी किस्मों का संरक्षण और प्रचार हो सके.

गोबर की खाद से बढ़िया पैदावार

बाबूलाल बताते हैं कि पारंपरिक चावल की हर किस्म का अलग स्वाद होता है, जिससे किसानों को बाजार में अच्छा दाम मिलता है. वहीं, गोबर की खाद से ही इन देसी किस्मों की अच्छी पैदावार होती है, जबकि संकर किस्मों और बौनी किस्मों के लिए महंगे रासायनिक खाद की जरूरत पड़ती है जो लागत बढ़ाता है और मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुंचाता है.

इसके अलावा बाबूलाल ने लोक साहित्य पर 7 से 8 पुस्तकें भी लिखी हैं, जो उनकी सांस्कृतिक समझ और ग्रामीण जीवन के प्रति समर्पण को दर्शाती हैं. बाबूलाल दाहिया का ये सफर देशी बीजों की ताकत और भारतीय खेती की खुशहाली का प्रेरणादायक उदाहरण है. रिपोर्ट- धर्मेंद्र सिंह

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 23 May, 2025 | 08:00 AM

फलों की रानी किसे कहा जाता है?

फलों की रानी किसे कहा जाता है?