Groundnut Exports: भारत के मूंगफली निर्यातकों के लिए राहत की खबर आने वाली है. इंडोनेशिया ने सितंबर से भारत से मूंगफली के आयात पर रोक लगा रखी थी, लेकिन अब यह प्रतिबंध जल्द ही खत्म हो सकता है. कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के चेयरमैन अभिषेक देव ने मीडिया को बताया कि इंडोनेशिया की टीम इस महीने के अंत तक भारत का दौरा करेगी और निर्यात प्रक्रियाओं का निरीक्षण करेगी. इस दौरे के बाद ही मूंगफली के आयात पर लगी रोक हटा सकती है.
रोक का कारण
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, इंडोनेशिया ने भारत से मूंगफली का आयात रोकने का निर्णय अफ्लाटॉक्सिन संदूषण की रिपोर्ट के बाद लिया था. अफ्लाटॉक्सिन एक जहरीला पदार्थ माना जाता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. हालांकि, भारतीय निर्यातक इस रोक को लेकर असहमति जताते रहे हैं. उनका कहना है कि इंडोनेशिया ने मूंगफली की खेप में अफ्लाटॉक्सिन की उपस्थिति के बारे में तीन महीने बाद सूचित किया, जो कि समय पर नहीं किया गया.
इसके अलावा, निर्यातकों का यह भी कहना है कि इंडोनेशिया के परीक्षण मानक विश्व व्यापार संगठन (WTO) के निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं हैं. इसी कारण, निर्यातक भारत की प्रक्रियाओं और गुणवत्ता नियंत्रण के भरोसे में हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि इंडोनेशियाई टीम के दौरे के बाद मामला सुलझ जाएगा.
निर्यात पर असर और संभावित नुकसान
इंडोनेशिया भारत की मूंगफली निर्यात का लगभग एक-तिहाई हिस्सा आयात करता है. पिछले वित्तीय वर्ष में भारत से कुल 7.46 लाख टन मूंगफली का निर्यात हुआ, जिसमें से 2.77 लाख टन मूंगफली इंडोनेशिया ने खरीदी थी. इसका मूल्य लगभग 280 मिलियन अमेरिकी डॉलर था. विश्लेषकों का अनुमान है कि आयात पर लगी रोक से भारत को दो महीनों में लगभग 410 करोड़ रुपये(46.65 मिलियन डॉलर) का नुकसान हो सकता है.
मौजूदा कीमतें और निर्यातकों की उम्मीदें
इस समय भारत में खड़ी फसल की मूंगफली की कटाई शुरू हो गई है. निर्यातक इस अवसर को खोना नहीं चाहते और जल्द से जल्द निर्यात फिर से शुरू करना चाहते हैं. भारतीय बाजार में मूंगफली का औसत वजनित मूल्य वर्तमान में लगभग 4,885 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य 7,263 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित है.
विश्लेषकों का मानना है कि निर्यात में स्मृति और संस्थागत अनुभव की कमी एक बाधा है. इसलिए इंडोनेशियाई टीम का दौरा न केवल निर्यातकों को राहत देगा, बल्कि भविष्य में निर्यात प्रक्रियाओं को और मजबूत बनाने में भी मदद करेगा.
इस दौरे के सफल होने के बाद, भारत और इंडोनेशिया के बीच मूंगफली का व्यापार फिर से शुरू होगा और निर्यातकों को बड़ी राहत मिलेगी, जिससे भारतीय कृषि निर्यात को मजबूती मिलेगी.