MSP पर तिलहन और दालों की खरीद में देरी से किसान परेशान, 9 लाख टन फसल सस्ते दामों में बेची

इस बार खरीफ 2025–26 के लिए केंद्र सरकार ने प्रमुख फसलों की खरीद की मंजूरी पहले ही दे दी थी, लेकिन कुछ तकनीकी और प्रशासनिक कारणों के चलते अभी तक खरीद प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है. इसके परिणामस्वरूप देशभर के किसानों को अपनी फसलें 9 लाख टन तक एमएसपी से नीचे बेचनी पड़ी हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 23 Oct, 2025 | 08:34 AM

MSP Procurement: देशभर के किसान इस समय एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर तिलहन और दालों की खरीद में देरी से परेशान हैं. इस बार खरीफ 2025–26 के लिए केंद्र सरकार ने प्रमुख फसलों की खरीद की मंजूरी पहले ही दे दी थी, लेकिन कुछ तकनीकी और प्रशासनिक कारणों के चलते अभी तक खरीद प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है. इसके परिणामस्वरूप देशभर के किसानों को अपनी फसलें 9 लाख टन तक एमएसपी से नीचे बेचनी पड़ी हैं, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर खरीद समय पर शुरू होती, तो किसानों की आय में सुधार होता और मंडियों में दालों और तिलहन की कीमतों पर स्थिरता बनी रहती.

केंद्र सरकार ने दी थी मंजूरी

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, छले महीने केंद्र सरकार ने तुअर (अरहर), उड़द, मूंग, मूंगफली, सोयाबीन और तिल की खरीद के लिए एमएसपी मंजूरी दी थी. उत्तर प्रदेश और गुजरात में ये खरीद पहले शुरू होनी थी, जिसके लिए लगभग 13,890 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया था. इसके अलावा, कर्नाटक में भी मूंग की खरीद की अनुमति दी गई. तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की योजनाएं अभी केंद्र की मंजूरी की प्रतीक्षा कर रही हैं. वहीं, महाराष्ट्र और राजस्थान ने भी खरीद की अनुमति के लिए आवेदन किया है.

राज्यों में खरीद की स्थिति

गुजरात में अगले सप्ताह मूंगफली की खरीद शुरू होने की संभावना है, जबकि मध्य प्रदेश ने सोयाबीन के लिए भावांतर योजना (Bhavantar Yojana) लागू करने का प्रस्ताव भेजा है. इस योजना के तहत किसानों को बाजार भाव और MSP के बीच का अंतर सरकार द्वारा दिया जाएगा. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 26 सितंबर को इसकी घोषणा की थी, ताकि किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिल सके.

किसानों की आर्थिक स्थिति पर असर

देशभर की मंडियों में 24 सितंबर से 22 अक्टूबर के बीच सोयाबीन की 5.76 लाख टन, मूंग की 1.10 लाख टन, मूंगफली की 1.36 लाख टन, उड़द की 47,008 टन और तुअर की 39,367 टन फसलें मंडियों में पहुंची. इन फसलों की बिक्री औसतन MSP से काफी कम दर पर हुई. उदाहरण के लिए उड़द 6,069 रुपये प्रति क्विंटल (22 फीसदी कम), तुअर 6,466 रुपये प्रति क्विंटल (19 फीसदी कम), मूंग 6,525 रुपये प्रति क्विंटल (26 फीसदी कम), सोयाबीन 3,909 रुपये प्रति क्विंटल (27 फीसदी कम) और मूंगफली 5,350 रुपये प्रति क्विंटल (26 फीसदी कम) में बेची गई.

खरीद नीति और केंद्र की भूमिका

केंद्र ने स्पष्ट किया है कि उड़द और तुअर की 100 फीसदी फसल MSP पर खरीदी जाएगी, जबकि मूंग, तिल, सोयाबीन और मूंगफली की खरीद पर 25 फीसदी की सीमा लागू होगी. प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण योजना (PM-AASHA) के तहत NAFED और अन्य एजेंसियां एमएसपी पर फसलें खरीदती हैं और बाद में बाजार में बिक्री से हुए घाटे की भरपाई करती हैं.

सरकार से उम्मीदें

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि जब प्रमुख राज्यों में MSP पर खरीद समय पर शुरू होती है, तो इसका सीधा असर बाजारों पर पड़ता है और किसानों को बेहतर मूल्य मिलता है. इस बार खरीद में देरी से किसानों की आर्थिक स्थिति कमजोर हुई है. सरकार से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले कुछ दिनों में खरीद प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, जिससे किसानों को राहत मिलेगी और उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ मिलेगा.

किसानों की मेहनत और उपज का उचित मूल्य मिलने से ही कृषि क्षेत्र में स्थिरता आएगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत बनेगी. इस बार की खरीफ फसल की खरीद तेजी से शुरू होने की उम्मीद से किसानों के चेहरे पर थोड़ी राहत की झलक दिखाई दे रही है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 23 Oct, 2025 | 08:33 AM

फलों और सब्जियों के उत्पादन में भारत किस नंबर पर है?

Side Banner

फलों और सब्जियों के उत्पादन में भारत किस नंबर पर है?