मूंगफली में फैल रहा पीला रोग और सोयाबीन पर मोड़क कीट का हमला, किसान जान लें फसल बचाने का तरीका

कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, निरीक्षण के दौरान इन गांवों में सोयाबीन की फसल लगाने वाले किसान पत्ती मोड़क कीट से परेशान हैं. सोयाबीन की फसल पर पत्ती मोड़क कीट के साथ-साथ हरी अर्धकुंडल और तंबाकू इल्ली का असर भी देखने को मिल रहा है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 10 Sep, 2025 | 07:16 PM

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के किसानों के लिए पीले रोग और पत्ती मोड़क कीट ने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. दरअसल, मॉनसून सीजन की शुरुआत होते ही अन्य किसानों की तरह ही यहां के किसानों ने भी मूंगफली और सोयाबीन की खेती की थी. किसानों को उम्मद थी कि फसल तैयार होने के बाद उन्हें उनकी उपज की अच्छी कीमत मिलेगी लेकिन उससे पहले ही फसलों पर खतरनाक कीटों और रोगों की हमला हो गया है. बता दें कि, यहां मूंगफली की फसल पर पीले रोग और सोयाबीन की फसल पर पत्ती मोड़क कीट का संक्रमण होने के कारण किसानों को नुकसान हो रहा है. किसानों को ज्यादा नुकसान से बचाने के लिए प्रदेश में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ द्वारा बचाव के तरीके बताए गए हैं.

पीली पड़ रहीं मूंगफली की पत्तियां

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के करमासनघाट, दरयाव नगर और खरोई गांव के किसानों की 30 हेक्टेयर मूंगफली की फसल के निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कई जगहों पर मूंगफली की फसल में पौधों की पत्तियां पीली पड़ रही हैं, जो कि जरूरत से ज्यादा बारिश और लोहे की कमी के कारण होता है. इसके अलावा मूंगफली में टिक्का रोग (Leaf Spot) भी देखने को मिल रहा है, जिसके कारण पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे पड़ने लग गए हैं. पत्तियों को पीलेपन से बचाने के लिए किसानों को 75 ग्राम फेरस सल्फेट और 15 ग्राम साइट्रिक अम्ल को 15 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना है.

वहीं टिक्का रोग से पत्तियों को बचाने के लिए 2 ग्राम मैन्कोजेब को प्रति लीटर पानी  में मिलाकर फसल पर इसका छिड़काव करें. ऐसा करने से टिक्का रोग से फसल को बचाया जा सकता है.

सोयाबीन की फसल पर पत्ती मोड़क कीट का हमला

कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, निरीक्षण के दौरान इन गांवों में सोयाबीन की फसल लगाने वाले किसान पत्ती मोड़क कीट से परेशान हैं. सोयाबीन की फसल पर पत्ती मोड़क कीट के साथ-साथ हरी अर्धकुंडल और तंबाकू इल्ली का असर भी देखने को मिल रहा है. इस कारण से किसानों की चिंता बढ़ गई है. इन रोगों और कीटों के हमले से न केवल फसल बर्बाद हो रही है बल्कि उपज की क्वालिटी पर भी बुरा असर पड़ रहा है. सोयाबीन की फसल को इन कीटों और रोगों से बचाने के लिए फसल पर इमामेक्टिन बेंजोएट 5 SG का छिड़काव करें.

तिल की फसल पर एन्थ्रोक्नोज का खतरा

मूंगफली और सोयाबीन की फसल के अलावा जिले के कई हिस्सों में तिल की फसल पर एन्थ्रोक्नोज बीमारी के लक्षण भी देखने को मिले हैं. बता दें कि, ये एक फफूंद जनित रोग है जिसके संक्रमण से पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे पड़ने लगते हैं जो कि आगे जाकर काले धब्बों में बदलने लगते हैं. तिल की फसल को एन्थ्रोक्नोज बीमारी से बचाने के लिए किसान 2 ग्राम मैन्कोजेब को प्रति लीटर पानी में घोल कर फसल पर उसका छिड़काव करें.

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Published: 10 Sep, 2025 | 07:16 PM

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