धान की खेती करने वाले किसानों के लिए बारिश का मौसम बेहद ही संवेदनशील होता है. इन दिनों ज्यादातर किसानों की धान की फसल खड़ी हो चुकी है. लेकिन ज्यादातर राज्यों में लगातार हो रही बारिश से खेतों में पानी भर गया है और साथ ही नमी के कारण धान की फसल में रोगों का खतरा बढ़ रहा है. ऐसा ही एक खतरनाक रोग है ब्लास्ट रोग (Blast Disease) जो कि फसल के तनों और पत्तियों पर हमला कर उनपर काले धब्बे डाल रहा है. इस रोग के संक्रमण से न केवल फसल नष्ट हो रही है बल्कि किसानों को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसलिए बेहद जरूरी है कि किसान जल्द से जल्द इसके लक्षणों की पहचान कर बचाव के उपाय कर लें.
इन लक्षणों से करें पहचान
धान की खेती करने वाली किसान अगर समय रहते ब्लास्ट रोग के लक्षणों की पहचान कर लें तो फसल को गंभीर संक्रमण से बचाया जा सकता है. ब्लास्ट रोग के कुछ मुख्य लक्षण हैं जैसे इस रोग के प्रकोप के कारण पत्तियों पर आंख के आकारा के धब्बे पड़ने लगते हैं, साथ ही तनों पर काले या भूरे रंग के गोल चकत्ते दिखने लगते हैं. इस रोग के संक्रमण की एक पहचान ये भी है कि इसके प्रभाव से पौधे में लगने वाले फूल और दाने झड़ने लगते हैं. इसके अलावा पौधों की ग्रोथ रुकने लगती है और समय से पहले पौधे सूखने और झुकने लगते हैं.

धान की पत्तियों पर हमला करता है बलास्ट रोग (Photo Credit- Canva)
बचाव के लिए करें ये उपाय
मीडिया रिपोरट्स के अनुसार, अगर धान की फसल पर ब्लास्ट रोग का संक्रमण हो जाता है तो कुछ आसान से उपाय से किसान फसल का बचाव कर सकते हैं. किसानों को सबसे पहले ये सलाह दी जाती है कि वे खेत में पानी जमने न दें और खेत में जल निकासी के सही इंतजाम पहले से कर के रखें. साथ ही जिस पौधे में संक्रमण है उसे सबसे पहले हटाकर अलग कर दें. इसके अलावा खेत में पौधे लगाते समय बीज में उचित दूरी बनाकर रखें ताकि पौधों के बीच हवा का आना-जाना बना रहे और नमी कम हो.
नीम के अर्क और छाछ का छिड़काव
ब्लास्ट रोग एक फफूंद जनित रोग है जिसे समय रहते न रोका जाए तो फसलों में तेजी से फैलने लगता है. ऐसे में इसके रोकथाम के लिए किसान नीम के अर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए किसानों को नीम के पत्तों को पानी में उबालकर फसल पर उसका छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा किसान पुराने घरेलू उपाय का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. जैसे कि किसान धान की फसल पर छाछ का छिड़काव कर सकते हैं. बता दें कि, छाछ में मौजूद बैक्टीरिया फफूंद को कंट्रोल करते हैं और फसल को सुरक्षित रखते हैं. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे 10 लीटर पानी में 2 लीटर छाछ मिलाकर फसल पर घोल का छिड़काव करें.