मानसून के मौसम में खेतों में खरपतवार विशेष रूप से गाजर घास किसानों के लिए बड़ी चुनौती बन जाती है. यह फसल की पैदावार घटाता है और मिट्टी से पोषक तत्व भी सोख लेता है. गाजर घास बेहद जिद्दी होती है और खेत से हटाने के बावजूद जल्दी दोबारा उग जाती है.
कृषि वैज्ञानिकों ने गाजर घास को सीधे खाद में बदलने का तरीका खोजा है. इससे फसल की पैदावार बढ़ती है और मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है.
गाजर घास को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर उसमें नीम की पत्तियां और गेहूं का भूसा मिलाकर अच्छी तरह सुखाना चाहिए, जिससे यह खाद बनाने के लिए तैयार हो जाता है.
खाद बनाने के लिए लगभग 20 फीट लंबी, 4 फीट चौड़ी और 3 फीट गहरी टंकी बनाई जाती है. इसे ईंट, प्लास्टिक या बांस की मदद से तैयार किया जा सकता है.
टंकी में पहले 6 इंच गाजर घास मिश्रण डालें, फिर 1 इंच मिट्टी और गोबर की परत डालें. यह प्रक्रिया तब तक दोहराएं जब तक टंकी पूरी तरह भर न जाए. टंकी के ऊपर 6 इंच मिट्टी, जुट का बोरा और गोबर की परत डालकर पुआल से ढक दें और नियमित रूप से पानी छिड़ककर नमी बनाए रखें.
45 दिनों तक नमी बनाए रखने के बाद गाजर घास से बनी खाद पूरी तरह तैयार हो जाती है, जो खेत की मिट्टी को पोषक तत्व प्रदान करती है और पैदावार बढ़ाती है.