आज के आधुनिक दौर में जहां हर क्षेत्र आधुनिकता की सीढ़ी चढ़ रहा है. वहीं देश का कृषि क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है. केंद्र सरकार समय-समय पर इस बात को ध्यान में रखते हुए किसानों और खेती को आधुनिकता से जोड़ने की कोशिश करती रहती है. साथ ही राज्य सरकारों को भी इस दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करती है. किसानों को आधुनिक खेती और कृषि क्षेत्र से जुड़ी हर जानकारी देने के लिए और किसानों के हर सवाल का जबाव सही समय पर देने के लिए सरकार की तरफ से किसान कॉल सेंटर की शुरुआत की गई थी. इसके जरिए किसानों को टेलीफोन के माध्यम से उनके सवालों के जवाब उन्हीं की भाषा में दिए जाते हैं. इन कॉल सेंटरों के माध्यम से 22 स्थानीय भाषाओं में संवाद किया जाता है. तो चलिए इस खबर में आगे जान लेते हैं कि क्या है किसान कॉल सेंटर और किस तरह यह कॉल सेंटर किसानों के लिए काम करता है.
क्या है किसान कॉल सेंटर का उद्देश्य
देश की 60 फीसदी आबादी आज भी खेती-किसानी पर निर्भर करती है. ऐसे में खेती करने वाले किसानों को खेती से जुड़े कई सवाल होते हैं. किसानों की इस समस्या का समाधान करने के लिए और देश में कृषि क्षेत्र में सूचना और दूरसंचार को बढ़ावा देने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 21 जनवरी 2004 को ‘किसान कॉल सेंटर’ (केसीसी) योजना की शुरुआत की थी. इस योजना की शुरुआत के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनके सवालों के जवाब उन्हीं की भाषा में देना है. बता दें कि ये कॉल सेंटर देश के 21 अलग-अलग राज्यों में काम कर रहे हैं. इन 21 राज्यों में सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं.
22 स्थानीय भाषाओं में दिए जाते हैं जवाब
किसान कॉल सेंटर के लिए देशभर में एक 11 अंकों का टोल फ्री नंबर 1800-180-1551 आवंटित किया गया है. यह नंबर निजी दूरसंचार सेवा देने वालों के साथ-साथ सभी दूरसंचार नेटवर्क के मोबाइल फोन और लैंडलाइन के लिए उपलब्ध और सुलभ है. इस योजना के तहत किसानो को 22 स्थानीय भाषाओं में जवाब दिए जाते हैं. किसान कॉल सेंटरों में हफ्ते के सातों दिन सुबह 6 बजे से लेकर रात 10 बजे तक किसानों के सवालों के जवाब दिए जाते हैं. इन कॉल सेंटरों में किसानों की समस्याओं का समाधान तुरंत ही किया जाता है.
कौन हैं फार्म टेली एडवाइजर
हर किसान कॉल सेंटर पर एक एजेंट होता है जिसे फार्म टेली एडवाइजर (एफटीए) कहा जाता है. ऐसे लोग जिन्होंने कृषि या कृषि से संबंधित क्षेत्र में स्नातक या उससे भी ऊपर की पढ़ाई की है और किसान कॉल सेंटर से संबंधित स्थानीय भाणा की जानकारी रखते हैं उन्हें फार्म टेली एडवाइजर के तौर पर नियुक्त किया जाता है. कुछ सवाल ऐसे भी होते हैं जिनके जवाब एफटीए नहीं दे पाते हैं. ऐसी स्थित में उन सवालों को उच्च स्तरीय कृषि विशेषज्ञों को सौंप दिया जाता है. बता दें कि ये विशेषज्ञ राज्य कृषि विभागों (एसडीए), आईसीएआर संस्थानों, केवीके और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू) के विषय वस्तु विशेषज्ञ (एसएमएस) होते हैं.
देशभर में हैं 13 किसान कॉल सेंटर
किसान कॉल सेंटर हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने पर खेती, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, कृषि से जुड़ी समस्या, सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से लेकर मौसम से जुड़ी सारी जानकारी किसानों को मुहैया कराई जाती है. देश के अलग-अलग हिस्सों में करीब 13 कॉल सेंटर चलाए जा रहे हैं. इनमें मुंबई, कानपुर, कोचीन, बैंगलोर, चेन्नई, हैदराबाद, चंड़ीगढ़, जयपुर, इंदौर, कोलकाता, दिल्ली, अहमदाबाद शामिल हैं.