किसान का कमाल.. एक ही पेड़ पर फल रहा है अलग-अलग देश के 80 किस्मों का आम

केरल के कोझिकोड जिले के अब्दु रहमान ने एक ही आम के पेड़ पर 80 से अधिक किस्मों के आम उगाकर सबको चौंका दिया है. विदेश से लौटने के बाद उन्होंने खेती को अपनाया और जैव विविधता को बढ़ावा देते हुए टिकाऊ खेती की मिसाल पेश की है.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 12 May, 2025 | 05:21 PM

आम की किस्मों की जब भी बात होती है तो सबसे पहले लोगों के जेहन में उत्तर प्रदेश के मलिहाबाद के रहने वाले कलीमुल्लाह खान का नाम आता है, क्योंकि उन्होंने एक ही पड़े पर 350 से अधिक किस्मों के आम उगाने में सफलता पाई है. लेकिन कलीमुल्लाह खान की तरह केरल के कोझिकोड जिला स्थित करुथापरंबा गांव में भी एक किसान रहते हैं, जिन्होंने एक पेड़ पर कई किस्मों के आम उगाने में सफलता हासिल की है. इसके चलते इनकी चर्चा पूरे जिले में होती है. लोग इनसे आम की खेती करने की बारीकी सीखते हैं.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हम जिस किसान के बारे में बात करने जा रहे हैं, उनका नाम अब्दु रहमान है. इनके आंगन में एक अनोखे आम के पेड़ लगे हुए हैं. इस पेड़ पर केरल के चंद्रकरण और किलिचुंडन जैसे देसी आमों से लेकर थाईलैंड का नाम डॉक माई, अमेरिका का रेड पामर, इंडोनेशिया का ग्रामपु और गोल्डन चकापाट जैसे 80 से ज्यादा किस्मों के आम उगते हैं. इस कमाल के पीछे हैं 59 साल के अब्दु रहमान, जो कभी विदेश में काम करते थे. अब्दु कहते हैं कि मैंने इस एक पेड़ पर 125 किस्मों की ग्राफ्टिंग की, जिनमें से 80 सफल रहीं. आम के लिए मैं थोड़ा पागल हूं. इस दुनिया में आम की मिठास की कोई बराबरी नहीं है.

15 साल तक विदेशों में काम किया

विदेश में 15 साल तक काम करने के दौरान भी अब्दु रहमान की खेती से जुड़ाव बना रहा. वहीं से उनकी आमों के प्रति दीवानगी की शुरुआत हुई. जब वे वापस अपने गांव लौटे, तो उन्होंने पूरी तरह से आम की खेती पर ध्यान देना शुरू किया. अब्दु ने अलग-अलग राज्यों और देशों का सफर कर अनोखी किस्मों के आम जुटाए, जैसे कोई कीमती रत्न इकट्ठा करता हो. उनके दोस्त जिजो बहरीन से आम की टहनियां लाए, जबकि बाकी किस्में इंडोनेशिया, ताइवान, थाईलैंड और कंबोडिया से आईं.

फार्म में 125 से ज्यादा फलों की किस्में

लेकिन अब्दु का बाग सिर्फ आमों तक सीमित नहीं है. उनके फार्म में 125 से ज्यादा फलों की किस्में हैं, जो जैव विविधता और टिकाऊ खेती का जीता-जागता उदाहरण है. वे कहते हैं कि 20 फीसदी फल हम पक्षियों और चमगादड़ों के लिए छोड़ देते हैं. बाकी फल हम तोड़ते हैं. ये हिस्सा प्रकृति का होता है. अब्दु के घर में आम की तुड़ाई का दिन किसी त्योहार से कम नहीं होता. उस दिन दोस्त, किसान और दूर-दूर से आए आम प्रेमी उनके घर जुटते हैं.

अब्दु तो चलते-फिरते इनसाइक्लोपीडिया हैं

वायनाड से आए आम प्रेमी डॉ. फैज कहते हैं कि यह सिर्फ आम खाने का मौका नहीं होता, ये एक सीखने का अनुभव है. अब्दु तो चलते-फिरते इनसाइक्लोपीडिया हैं. उनकी दीवानगी काबिल-ए-तारीफ है. पर्यावरणविद और शिक्षक हमीद अली कहते हैं कि हर केरलवासी का सपना होता है कि उनके बाग में सभी किस्मों के आम हों. अब्दु ने वो सपना एक ही पेड़ पर सच कर दिखाया है.

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Published: 12 May, 2025 | 05:16 PM

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