मॉनसून की एंट्री होते ही किसान धान की रोपाई शुरु कर देते हैं. धान की खेता भारत में बड़े पैमाने पर होती है. बरसात के मौसम में फसलों पर कीटों का लगना आम बात होती है , इसलिए किसानों के लिए बेहद जरूरी है कि वे समय रहते इन कीटों के नियंत्रण का उपाय करें. ऐसे ही कुछ कीट हैं जो बरसात के मौसम में धान की फसल पर आक्रमण कर देते हैं जिससे न केवल फसल बर्बाद होती है बल्कि धान की खेती करने वाले किसानों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ता है. बरसात के मौसम में नमी होने के कारण ये कीट बड़ी संख्या में फैलते हैं.
पत्ती लपेटक (Leaf Folder)
पत्ती लपेटक एक ऐसा कीट है जिसका लार्वा पत्तियों को मोड़कर उनके अंदर छिपकर पत्तियों को खाता है. जिसके कारण पत्तियां सूख जाती हैं और उनका विकास रुक जाता है. पत्ती लपेटक कीट से धान की फसल की सुरक्षा करने के लिए किसान नीम आधारित कीटनाशक या क्लोरैंट्रानिलीप्रोल का छिड़काव कर सकते हैं. ये कीट रात में सक्रिय होते हैं इसलिए इनके रोकथाम के लिए किसान फसलों के ऊपर लाइट ट्रैप भी लगा सकते हैं. लाइट ट्रैप की मदद से कीटों के संक्रमण का अंदाजा लगाने में भी मदद होगी.
ब्राउन प्लांट हॉपर (Brown Plant Hopper)
ब्राउन प्लांट हॉपर धान की फसल के तनों पर आक्रमण करते हैं और तनों का रस चूसते हैं. जिसके कारण पौधे पीले पड़ जाते हैं और झुक जाते हैं. ब्राउन प्लांट हॉपर से धान की फसल को बचाने के लिए किसान सबसे पहले पौधे से प्रभावित हिस्से को हटाकर अलग कर दें. इसके बाद फसल पर इमिडाक्लोप्रिड या बुप्रोफेजिन जैसे कीटनाशकों का छिड़काव करें. बता दें कि ब्राउन प्लांट हॉपर पानी में तेजी से फैलता है. इसलिए किसानों के लिए बेहद जरूरी है कि वे अपने खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था रखें.
गंधक कीट (Stink Bug)
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गंधक कीट, जिसे गंधी बग के नाम से भी जाना जाता है. ये कीट धान की बालियों पर आक्रमण कर उनका रस चूसता है जिसके कारण दाने अधपके रह जाते हैं या फिर काले पड़ जाते हैं. इस कीट के आक्रमण से धान की फसल से होने वाली पैदावार और क्वालिटी दोनों पर बुरा असर पड़ता है. गंधक कीट से धान की फसल को बचाने के लिए फसल पर डेल्टामेथ्रिन या लैम्ब्डा सायहलोथ्रिन जैसे कीटनाशकों का छिड़काव करें. इसके अलावा किसानों को सलाह है कि वे खरपतवारों पर नियंत्रण रखें क्योंकि ये कीट खरपतवारों में ही छिपते हैं.