GM Seeds: भारत लंबे समय से जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फसलों के उत्पादन में न तो सक्रिय रहा और न ही इनकी अनुमति दी है. लेकिन अब अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता के दबाव में भारत अपनी इस पुरानी नीति पर पुनर्विचार कर सकता है. यह कदम न केवल कृषि व्यापार को बढ़ावा दे सकता है, बल्कि घरेलू उत्पादन और किसानों की आमदनी में भी बदलाव ला सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि GM तकनीक किसानों की पैदावार बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने में मदद कर सकती है, लेकिन कई किसान समूह और ग्रामीण संगठन अभी भी इसके खिलाफ हैं.
GM फसलों पर भारत की पुरानी नीति
इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के अनुसार, भारत ने अब तक GM फसलों के उत्पादन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया हुआ है, सिवाय कपास के, जिसे 2002 में बीटी कॉटन के रूप में मंजूरी दी गई थी. सरकार ने हालांकि स्पष्ट रूप से GM फसलों का विरोध नहीं किया है, लेकिन कानूनी और अन्य अड़चनों ने इन्हें देश में आमतौर पर प्रवेश करने से रोक रखा है. किसानों और ग्रामीण संगठनों के जोरदार विरोध के कारण राजनीतिक इच्छाशक्ति भी कमजोर रही है.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और रापसीड केस
आगामी महीनों में सुप्रीम कोर्ट का रापसीड पर फैसला काफी अहम माना जा रहा है. यह रापसीड स्थानीय रूप से विकसित की गई है, जो अधिक तेल उत्पादन कर सकती है और कुछ कीटों के प्रति प्रतिरोधक है. इस फैसले का हरा संकेत मिलना भारत के लिए बड़ी भूमिका निभा सकता है, क्योंकि देश अपनी खपत के अधिकतर खाद्य तेल का आयात करता है.
किसानों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएं
किसानों के समूह इस विषय पर खासे संवेदनशील हैं. वे इसे “जीवन-मृत्यु” का मसला मानते हैं और कहते हैं कि अगर सरकार दबाव में GM फसलों को बढ़ावा देती है तो उन्हें फिर सड़कों पर उतरना पड़ेगा. वहीं कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीक को अपनाकर किसानों की पैदावार और आमदनी दोनों बढ़ाई जा सकती है. उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर GM रापसीड को मंजूरी देने का अनुरोध किया है.
अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर असर
भारत की GM नीति के कारण अमेरिका के साथ कृषि व्यापार में अड़चनें आई हैं. अमेरिका में GM मक्का और सोयाबीन सामान्य हैं, और भारत की नाराजगी ने व्यापार वार्ता को प्रभावित किया. अब यदि भारत कुछ रियायतें देता है, तो यह वार्ता में सकारात्मक संकेत हो सकता है.
GM फसलों को मंजूरी देना आसान नहीं होगा. यह निर्णय सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर संवेदनशील है. हालांकि, अगर सही तरीके से लागू किया गया तो यह किसानों की उत्पादकता बढ़ाने, आयात पर निर्भरता कम करने और देश की कृषि प्रतिस्पर्धा में सुधार लाने में मदद कर सकता है. भारत अब इस फैसले के लिए नए समीकरणों और दबावों का सामना कर रहा है, और आने वाले महीनों में सुप्रीम कोर्ट का फैसला और सरकारी नीति इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
इस तरह, GM फसलों को लेकर भारत का दृष्टिकोण बदल सकता है, लेकिन यह बदलाव किसानों, विशेषज्ञों और सरकार के संतुलन पर निर्भर रहेगा.