कद्दू एक बहुपयोगी सब्जी है जो न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होती है, बल्कि इसका उपयोग मिठाइयों, सब्जियों और त्योहारों में सजावट तक में किया जाता है. यही वजह है कि देश के कई हिस्सों में किसान इसे बड़े पैमाने पर उगाते हैं. लेकिन कद्दू की खेती में एक बड़ी परेशानी अक्सर सामने आती है और वह है फलों का सड़ना. जब कद्दू सड़ने लगते हैं, तो मेहनत, समय और पैसा तीनों पर पानी फिर जाता है. तो आइए जानते हैं कि कद्दू की फसल में सड़न क्यों होती है और आप इससे कैसे बच सकते हैं.
फफूंद जनित बीमारियां
कई बार कद्दू की बेलों में सफेद या पीली परतें दिखाई देती हैं, जिन्हें हम आम भाषा में फफूंदी कहते हैं. यह फफूंद धीरे-धीरे पूरे पौधे पर फैल जाती है और फल को अंदर से खराब करने लगती है. पाउडरी मिल्ड्यू और डाउन मिल्ड्यू जैसी बीमारियां खासतौर पर कद्दू की फसल में देखी जाती हैं. ये बीमारियां तब और फैलती हैं जब पौधों के बीच बहुत भीड़ हो या लगातार पत्ते गीले रह रहे हों.
अगर फफूंद को शुरुआत में ही न रोका जाए, तो यह न केवल कद्दू को सड़ा देती है, बल्कि पूरी फसल को खत्म कर सकती है. इसलिए खेत में पौधों के बीच पर्याप्त जगह देना, जमीन को साफ रखना और ऊपर से सीधा पानी न डालना बहुत जरूरी हो जाता है.
गलत समय पर कटाई और खराब भंडारण
कई बार किसान जल्दबाजी में कद्दू को तब तोड़ लेते हैं जब वे पूरी तरह पके नहीं होते. अधपके कद्दू जल्दी खराब हो जाते हैं. साथ ही, यदि कटाई के बाद उन्हें नमी वाली या बहुत गर्म जगह पर रखा गया, तो वहां सड़न और तेजी से फैलती है.
कद्दू को तभी काटना चाहिए जब बेल सूखने लगे और कद्दू का छिलका सख्त हो जाए. इसके बाद कद्दुओं को ऐसी जगह रखना चाहिए जो ठंडी, सूखी और हवादार हो. वहां नियमित रूप से कद्दुओं की जांच करनी चाहिए और अगर किसी में सड़न दिखे, तो उसे तुरंत बाहर निकाल देना चाहिए ताकि बाकी फसल सुरक्षित रहे.
कीटों का हमला भी बन सकता है कारण
कद्दू की बेलों पर कई बार छोटे-छोटे कीड़े जैसे स्क्वैश बग्स या खीरे के बीटल आ जाते हैं. ये कीड़े पौधों का रस चूसते हैं और फलों की त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं. इन घावों से नमी और गंदगी अंदर जाती है, जिससे कद्दू धीरे-धीरे सड़ने लगते हैं.
अगर कीटों की पहचान समय पर हो जाए, तो उन्हें हाथ से हटाया जा सकता है या हल्के कीटनाशक साबुन का इस्तेमाल किया जा सकता है. साथ ही, खेत में सफाई बनाए रखना भी बहुत जरूरी है ताकि कीटों को छिपने की जगह न मिले.
थोड़ी सी सावधानी, बड़ी बचत
कद्दू की फसल में सड़न कोई नई बात नहीं है, लेकिन अगर किसान थोड़ी सी जागरूकता और सही तरीका अपनाएं, तो इस नुकसान से बचा जा सकता है. समय पर फसल की निगरानी, सही दूरी पर पौधे लगाना, फसल चक्र में बदलाव, साफ-सुथरी कटाई और अच्छे तरीके से भंडारण करने से कद्दू की गुणवत्ता भी बनी रहती है और बाजार में अच्छी कीमत भी मिलती है.