युवा किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती की मिलेगी ट्रेनिंग, 100 सेंटर बनाने का प्लान

सरकार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय उन्नत कृषि शिक्षा योजना की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में किसानों को तकनीकी और वैज्ञानिक शिक्षा देना है, जिससे वे अपनी खेती को बेहतर बना सकें और अधिक मुनाफा कमा सकें.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 24 Jun, 2025 | 10:16 AM

आज के दौर में खेती-किसानी में आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक तरीकों की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है. इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के साथ मिलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय उन्नत कृषि शिक्षा योजना’ की शुरुआत की है. इस योजना का मकसद गांवों के युवा किसानों को तकनीकी और वैज्ञानिक शिक्षा देने के साथ प्राकृतिक खेती, जैविक खेती और गौ आधारित खेती को बढ़ावा देना हैं, जिससे अपनी खेती को और बेहतर बना सकें. योजना के तहत देशभर में 100 केंद्र बनाए जाएंगे, जहां किसानों को उन्नत खेती के तरीके सिखाए जाएंगे.

खेती को मिलेगा वैज्ञानिक सहारा

आज के समय में खेती में बदलाव की सख्त जरूरत है. पुराने तरीकों से अब उतनी पैदावार नहीं हो पाती और खर्चा भी अधिक बढ़ जाता है. ऐसे में वैज्ञानिक तरीके से खेती करना ही बेहतर विकल्प बन सकता हैं. इस योजना के तहत देशभर के ग्रामीण इलाकों में 100 केंद्र बनाए जाएंगे, जहां किसानों को खेती के उन्नत तरीके सिखाए जाएंगे. इन केंद्रों पर किसानों को किसानी से जुड़े वैज्ञानिक पहलुओं की ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे किसान कम लागत में अधिक पैदावार कर मुनाफा बढ़ा सकें.

युवाओं को खेती से जोड़ने की कोशिश

आज के दौर में एक बड़ी चिंता यह भी है कि गांवों के युवा खेती-किसानी छोड़कर शहरों की तरफ पलायन कर लेते है. इसे बदलने के लिए सरकार ने ARYA (अट्रैक्टिंग एंड रिटेनिंग यूथ इन एग्रीकल्चर) प्रोजेक्ट भी शुरू किया है, जो देशभर के कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) के जरिए चलाया जा रहा है. इस योजना के जरिए युवाओं को खेती में नए मौके और संभावनाएं दिखाकर उन्हें खेती से जोड़ने की कोशिश की जा रही है.

योजना के लिए 5.35 करोड़ बजट

योजना को सफल बनाने के लिए सरकार ने करीब 5.35 करोड़ रुपये का बजट तय किया है. हर केंद्र को स्थानीय परिस्थितियों और जरूरतों के हिसाब से चुना गया है. जहां प्राकृतिक, जैविक और गौ आधारित खेती के बारें में बताया जाएगा. हर केंद्र पर चार समन्वयक (Coordinators) नियुक्त किए जाएंगे, जो किसानों का चयन कर, उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएंगे.

किस-किस खेती पर रहेगा फोकस?

1. प्राकृतिक खेती

यह खेती प्रकृति के सहारे की जाती है, जिसमें रासायनिक खाद और कीटनाशकों का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं होता. इसमें जैव विविधता (biodiversity) का पूरा लाभ उठाया जाता है. किसान भाई-बहनों को इसमें गहराई से ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वे इस पद्धति को सही तरीके से समझ सकें.

2. जैविक खेती

जैविक खेती सिर्फ खेती नहीं, बल्कि पूरी प्रकृति की सेहत को बचाने का तरीका है. इसमें हानिकारक रसायनों की जगह प्राकृतिक खाद और जैविक उपाय अपनाए जाते हैं. इससे मिट्टी, पानी और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है.

3. गौ आधारित अर्थव्यवस्था

भारत में गायों का खेती में हमेशा से बड़ा योगदान रहा है. गाय के दूध, गोबर और मूत्र का खेती में कई तरह से उपयोग किया जाता है. इस योजना में किसानों को सिखाया जाएगा कि किस तरह से गाय से जुड़ी चीजों का सही इस्तेमाल कर खेती को फायदे का सौदा बनाया जा सकता है.

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Published: 24 Jun, 2025 | 06:45 AM

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