ठंड में गाय-भैंस की देखभाल के लिए कौन सी सावधानियां जरूरी, किसानों के लिए बिहार सरकार की सलाह

बिहार सरकार ने पशुओं के लिए नए आहार नियम जारी किए हैं, जिनसे गाय-भैंस ज्यादा स्वस्थ रहेंगी और दूध उत्पादन बढ़ेगा. विशेषज्ञों का कहना है कि पर्याप्त पानी, संतुलित चारा और सही आहार प्रबंधन से दूध की मात्रा स्थिर रहती है और खर्च भी कम होता है. ये नियम किसानों और डेयरी कारोबार दोनों के लिए फायदेमंद हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 24 Nov, 2025 | 06:35 PM

Dairy Farming : गांवों में अक्सर यह बात सुनने को मिलती है- पशु भूखा हो जाए तो दूध आधा हो जाता है. लेकिन अब बिहार सरकार यही गलती रोकने के लिए एक नई पहल लेकर आई है. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग और पशुपालन निदेशालय ने मिलकर ऐसे सरल नियम बनाए हैं, जिन्हें अपनाकर किसान अपने पशुओं को ज्यादा तंदुरुस्त रख सकते हैं और दूध की मात्रा भी बढ़ा सकते हैं. यह नियम न केवल डेयरी किसानों के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि उन परिवारों के लिए भी जरूरी हैं, जिनकी रोजी-रोटी दूध पर चलती है.

हर पशु को रोज़ चाहिए साफ और पर्याप्त पानी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पशु डॉक्टरों का कहना है कि पानी की कमी  किसी भी पशु के लिए सबसे बड़ा संकट बन जाती है. बिहार सरकार के नए निर्देशों के अनुसार, हर दुधारू गाय को रोजाना 50 से 60 लीटर पानी चाहिए जबकि भैंस को 80 से 100 लीटर तक पानी की जरूरत होती है. गांवों में अक्सर देखा जाता है कि पशु को एक बार पानी पिलाकर पूरा दिन छोड़ दिया जाता है, लेकिन यह तरीका गलत है. पशु को दिन में कई बार साफ और ताज़ा पानी मिलना चाहिए. ज्यादा पानी पीने से दूध बनने की प्रक्रिया तेज होती है और पशु गर्मी में भी बेचैन नहीं होता.

सूखा चारा, हरा चारा और दाना-तीनों का सही मिश्रण जरूरी

सरकार ने साफ कहा है कि पशु का पेट भराना ही काफी नहीं, उसके भोजन का संतुलित होना सबसे जरूरी है. सूखा चारा पेट भरता है, हरा चारा  शरीर को ठंडक और विटामिन देता है, जबकि दाना शक्ति बढ़ाता है. इसलिए गाय-भैंस को तीनों चीजें बराबर मात्रा में मिलनी चाहिए. कई किसान एक बार में बहुत सारा चारा डाल देते हैं, लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि यह तरीका सही नहीं है. बेहतर है कि दिन में 3-4 बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में चारा दिया जाए. इससे पशु आराम से खाता है, गैस नहीं बनती और दूध की गुणवत्ता  भी बढ़ती है.

आहार में अचानक बदलाव न करें, वरना बीमार पड़ सकता है पशु

अक्सर किसान नया चारा आते ही उसे तुरंत खिलाना शुरू कर देते हैं, लेकिन यह तरीका नुकसानदेह हो सकता है. पशुपालन निदेशालय  के अनुसार, पशु का पेट और पाचन तंत्र बहुत संवेदनशील होता है. अगर चारा अचानक बदल दिया जाए, तो पशु को दस्त, बदहजमी, भूख कम लगना और दूध घटने जैसी परेशानियां हो सकती हैं. इसलिए सलाह दी गई है कि नया चारा धीरे-धीरे पुराने चारे में मिलाकर खिलाना चाहिए. 5-7 दिन तक धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाने से पशु इसे आसानी से पचा लेता है.

सही आहार प्रबंधन से बढ़ेगा दूध और घटेगा खर्च

बिहार सरकार का मानना है कि अगर किसान सिर्फ इतना ध्यान रखें कि पशु को सही समय पर पानी, हरा चारा, सूखा चारा और दाना मिले, तो दूध उत्पादन अपने आप बढ़ जाएगा. कई किसानों के उदाहरण बताते हैं कि सही आहार देने से गाय-भैंस का स्वास्थ्य मजबूत होता है, बीमारियां कम  होती हैं और दूध की मात्रा स्थिर रहती है. एक दुधारू गाय या भैंस अगर कमजोर पड़ जाए, तो पूरा खर्च बढ़ जाता है-डॉक्टर, दवा, कम दूध..सब मिलाकर नुकसान. लेकिन अच्छे आहार प्रबंधन से यह समस्या शुरुआत में ही खत्म हो जाती है. इस पहल का मकसद यह है कि किसान समझें- पशु को जितनी अच्छी खुराक, उतना ज्यादा दूध. सरकार चाहती है कि हर गांव, हर डेयरी और हर किसान इन नियमों को अपनाए ताकि बिहार का डेयरी व्यवसाय  और मजबूत बन सके.

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