बाघ से लेकर बंदर तक, केरल ने केंद्र से मांगी इन्हें मारने की इजाजत- जानिए क्यों?

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2016-17 से 2024 तक केरल में वन्यजीवों के हमलों में 919 लोग मारे गए और 8967 घायल हुए हैं.

नई दिल्ली | Updated On: 9 Jun, 2025 | 04:15 PM

केरल सरकार ने केंद्र से अनुरोध किया है कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में बदलाव किया जाए ताकि राज्य को उन जंगली जानवरों को मारने की अनुमति मिल सके जो इंसानों के बसे इलाकों में आकर खतरा पैदा करते हैं. आइए समझते हैं कि केरल क्यों चाहता है ये बदलाव.

केरल में वन्यजीव हमलों की बढ़ती समस्या

केरल में वन्यजीवों के हमलों की समस्या बहुत बढ़ गई है. सरकार ने लगभग 273 गांवों को इस मामले में संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया है. टाइगर, तेंदुआ, हाथी, जंगली सूअर और बंदर जैसे जानवर लोगों की जिंदगी और उनकी संपत्ति के लिए खतरा बन गए हैं. खासकर बंदर और जंगली सूअर के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं, जिससे कई किसानों को अपनी जमीन छोड़नी पड़ रही है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2016-17 से 2024 तक केरल में वन्यजीवों के हमलों में 919 लोग मारे गए और 8967 घायल हुए हैं.

इंसान और जंगली जानवरों के बीच टकराव के कारण

वन्यजीवों और इंसानों के बीच बढ़ते विवाद के कई कारण हैं. जंगलों की गुणवत्ता में गिरावट के कारण जानवर अपने आवास छोड़ कर इंसानी इलाके की ओर आ रहे हैं. इसके अलावा पशुओं का जंगल में चरना, खेती के तरीके में बदलाव, और कुछ जानवरों की संख्या में असामान्य बढ़ोतरी भी इस समस्या को बढ़ा रही है. खासकर जंगली सूअरों और बंदरों की बढ़ती संख्या लोगों के लिए परेशानी बन गई है.

क्यों चाहिए केरल को कानून में बदलाव?

मौजूदा कानून के तहत, वन्यजीवों को मारने या नियंत्रित करने में कई बाधाएं हैं. खासकर Schedule I में शामिल जानवरों के मामले में कार्रवाई करना मुश्किल होता है. राज्य के वन्यजीव अधिकारी केवल तभी जानवरों को मारने की अनुमति दे सकते हैं जब यह साबित हो कि उसे पकड़कर या शांत करके कहीं और भेजना संभव नहीं है. इसके अलावा, कोर्ट के आदेश भी इस मामले में कड़े नियम लगाते हैं.

केरल सरकार का कहना है कि वे जंगल में रहने वाले उन जानवरों को मारने की अनुमति चाहते हैं जो मानव जीवन और खेती के लिए खतरा बनते हैं. इसके लिए वे चाहते हैं कि यह अधिकार क्षेत्र-विशेष और समय-सीमा के अनुसार दिया जाए.

राज्य सरकार का पक्ष

वन और पर्यावरण मंत्री ए के ससींद्रन ने कहा कि वे किसी भी जानवर के बिना कारण हत्या के पक्ष में नहीं हैं, बल्कि केवल उन जानवरों को नियंत्रित करने की अनुमति चाहते हैं जो मानव और फसलों के लिए खतरा हैं. उन्होंने बताया कि जंगली सूअरों को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई नियमावली जैसे ‘गर्भवती सूअर को नहीं मारना’ आदि अमल में नहीं आ रही हैं, और इन नियमों की वजह से समस्या बढ़ रही है.

कानूनी बदलाव के प्रस्ताव

केरल सरकार चाहती है कि जंगली सूअरों को कुछ समय के लिए ‘वर्मिन’ यानी कीट-नाशक की तरह घोषित किया जाए ताकि उनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सके. साथ ही, बंदरों को Schedule I से हटाकर कम संरक्षित श्रेणी में लाया जाए ताकि वन्यजीव अधिकारी उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकें.

2022 में बंदरों को वन्यजीव संरक्षण कानून की सबसे सुरक्षित श्रेणी (Schedule I) में रखा गया था. इसके बाद अधिकारियों के पास उन्हें पकड़ने या दूसरी जगह ले जाने की छूट नहीं रही. अब सरकार का मानना है कि अगर इस नियम में बदलाव किया जाए तो इंसानों और जानवरों के बीच बढ़ते झगड़े को कम किया जा सकता है और लोगों की जान-माल की सुरक्षा बेहतर ढंग से की जा सकेगी.

Published: 9 Jun, 2025 | 03:40 PM