Dairy Scheme : गांवों की गलियों में सुबह का नज़ारा अब बदल चुका है. पहले जहां कुछ घरों से ही दूध की बाल्टियों की खनक सुनाई देती थी, अब हर तरफ नई उम्मीदों की आहट महसूस होती है. प्रदेश में डेयरी का काम अब सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि युवा और किसानों के लिए कमाई का बड़ा जरिया बन गया है. डेयरी प्लस योजना ने गांवों में रोजगार और आत्मनिर्भरता की नई लहर पैदा कर दी है. इस योजना ने कई परिवारों को वह सहारा दिया है, जो उन्हें अपने पैरों पर मजबूती से खड़ा करने के लिए जरूरी था.
योजना का मकसद
डेयरी प्लस योजना का सबसे बड़ा उद्देश्य ग्रामीण युवाओं और छोटे किसानों को स्थायी आमदनी का अवसर देना है. खेती का काम मौसम पर निर्भर होता है, लेकिन डेयरी ऐसा व्यवसाय है जिसे सालभर चलाया जा सकता है. सरकार का मानना है कि अगर हर गांव में छोटे स्तर पर भी डेयरी यूनिट खड़ी हो जाए, तो गांव में रोजगार खुद-ब-खुद बढ़ने लगेगा. इस योजना के तहत पशुपालकों को गाय-भैंस खरीदने , शेड बनाने, चारा व्यवस्था और डेयरी संचालन के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. कई परिवार जो पहले आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे, वे अब दूध और डेयरी उत्पादों से स्थायी आमदनी हासिल कर रहे हैं.
अनुदान की सहायता
मध्य प्रदेश पशुपालन विभाग के अनुसार, इस योजना की खासियत इसका बड़ा अनुदान है, जिससे आर्थिक बोझ काफी कम हो जाता है. सामान्य और पिछड़ा वर्ग के पशुपालकों को 50 फीसदी तक अनुदान दिया जाता है, जबकि अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के पशुपालकों को 75 प्रतिशत तक सहायता प्रदान की जाती है. शेष राशि लाभार्थी खुद जमा करता है. यही वजह है कि जो लोग पहले डेयरी शुरू करने से डरते थे, अब आसानी से यह कदम उठा रहे हैं. अनुदान मिलने से शुरुआती लागत आधी से भी कम रह जाती है. पशुपालकों का कहना है कि इतना बड़ा सहारा मिलने से डेयरी का काम काफी आसान और लाभदायक हो गया है. कई परिवारों में तो दो पशु से शुरू हुआ काम आज बढ़कर छोटे डेयरी यूनिट तक पहुंच गया है.

मध्य प्रदेश पशुपालन विभाग
गांवों में बढ़ रहा डेयरी का दायरा
गांवों में डेयरी का दायरा तेजी से बढ़ रहा है. दूध की बिक्री के साथ-साथ दही, घी और मावा जैसे उत्पादों से भी अच्छी कमाई हो रही है. मध्य प्रदेश पशुपालन विभाग बताता है कि गोबर से बन रही जैविक खाद गांवों में नई कमाई का माध्यम बन गई है. कई पशुपालक गोबर गैस प्लांट लगाकर अपने घरों में गैस का उपयोग कर रहे हैं, जिससे खर्च कम होता है और आमदनी बढ़ती है. पहले जहां सिर्फ दूध पर निर्भरता रहती थी, अब डेयरी एक बहुआयामी गतिविधि बन गई है. एक ही यूनिट से कई तरफ से लाभ मिल रहा है, जिससे ग्रामीण परिवार आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं. योजना ने वास्तव में गांवों में छोटे स्तर पर भी उद्यमिता की नींव रखी है.
आसान प्रक्रिया और बढ़ती मांग
योजना की आवेदन प्रक्रिया भी बेहद आसान बनाई गई है, जिससे युवाओं में उत्साह तेजी से बढ़ा है. मध्य प्रदेश पशुपालन विभाग के अनुसार, अब आवेदन ऑनलाइन किए जा सकते हैं और दस्तावेज कम लगते हैं. इससे गांवों के युवा डेयरी को एक स्थायी करियर की तरह देखने लगे हैं. दूध की बढ़ती मांग , सरकार की सहायता और आसान प्रक्रिया-इन तीनों ने मिलकर डेयरी को सबसे तेजी से बढ़ने वाला ग्रामीण व्यवसाय बना दिया है. कई जगहों पर दूध उत्पादन पिछले कुछ सालों की तुलना में काफी बढ़ा है, जिससे किसान और युवा दोनों खुश हैं. विभाग का मानना है कि आने वाले समय में यह योजना प्रदेश को डेयरी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.