किसान इस तकनीक से करें धान की बुवाई, 20 फीसदी तक पानी और मजदूरी की होगी बचत

पंजाब सरकार धान की सीधी बुआई (DSR) तकनीक को बढ़ावा दे रही है, ताकि गिरते भूजल स्तर और मजदूरों की कमी की समस्या से निपटा जा सके.

नोएडा | Published: 27 May, 2025 | 12:32 PM

मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार गिरते भूजल स्तर को रोकने और मजदूरों की समस्या का हल करने के लिए पंजाब में धान की सीधी बुआई (DSR) तकनीक को बढ़ावा दे रही है. सरकार को उम्मीद है कि DSR तकनीक अपनाने से मजदूरी में 20-25 फीसदी और पानी की खपत में 15-20 फीसदी तक की बचत हो सकती है. इससे किसानों की कमाई में बढ़ोतरी होगी.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग का अमृतसर जिले में कुछ ज्यादा ही फोकस है. हाल ही में जिले के कई गांवों में इस तकनीक का प्रदर्शन किया गया. मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. बलजिंदर सिंह भुल्लर ने कहा कि जो किसान यह पर्यावरण-अनुकूल तकनीक अपनाते हैं, उन्हें सरकार की ओर से सहायता दी जा रही है.

DSR तकनीक से धान की बुआई

उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार DSR तकनीक अपनाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 1,500 रुपये की आर्थिक मदद दे रही है. किसान इस लाभ के लिए सरकारी पोर्टल पर पंजीकरण करा सकते हैं. डॉ. भुल्लर ने कहा कि 2024-25 सीजन में जिले में लगभग 17,000 एकड़ भूमि पर DSR तकनीक से धान की बुआई की गई. इस साल इसका लक्ष्य बढ़ाकर 30,000 एकड़ किया गया है.

पानी की खपत में 15-20 फीसदी तक बचत

उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को पाने के लिए जागरूकता अभियान, किसान प्रशिक्षण शिविर और व्हाट्सएप ग्रुप्स के जरिए तकनीकी जानकारी साझा की जा रही है. कृषि विस्तार अधिकारी मंदीप सिंह (सर्कल मुधल) ने कहा कि भूजल स्तर जिस तेजी से गिर रहा है, उसे देखते हुए DSR तकनीक आज की जरूरत बन चुकी है. उन्होंने कहा कि हम किसानों से अपील करते हैं कि वे DSR अपनाएं, जिससे मजदूरी में 20-25 फीसदी और पानी की खपत में 15-20 फीसदी तक की बचत हो सकती है.

5 लाख एकड़ में DSR तकनीक से बुवाई का लक्ष्य

बता दें कि बीते दिनों मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा था कि इस सीजन में सरकार ने पांच लाख एकड़ भूमि पर DSR तकनीक से धान बुवाई का लक्ष्य रखा है. उन्होंने कहा था कि यह कदम किसानों के हितों की रक्षा और पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा देने की सरकार की बड़ी योजना का हिस्सा है. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि यह पहल भूजल के लगातार हो रहे दोहन को रोकने में एक अहम कदम है और किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी मदद करेगी.